चाय बेचने जितना आसान समझकर राफेल का भी सौदा प्रधानमंत्री ने कर दिया। हालांकि रक्षा तकनीकी को सार्वजनिक करना कांग्रेस का उद्देश्य नहीं है लेकिन 56 इंच का सीना लेकर जिनके द्वारा चुनाव के समय प्रचार किया जाता है उसे बताना है।
उक्त बातें नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने जिला कांग्रेस कार्यालय कोठीघर में रविवार को राफेल डील को पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे यानी डसॉल्ट एविएशन फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू जहाज की खरीदी में देशहित को दांव पर लगाकर नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अपने पूंजीपति मित्र को फायदा तथा देश को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में यूपीए सरकार ने देश की रक्षा को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में बीड बुलाई थी। उसमें यूरोफाइटर (एईडीएम) व राफेल शामिल हुए थे। राफेल ने सबसे कम बोली बोलकर वायुसेना की मांग के अनुरूप 126 राफेल विमान खरीदी का सौदा फ्रांस सरकार से तय किया था लेकिन वायुसेना की मांगों व सुरक्षा को दरकिनार करते हुए हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड जो शासकीय संस्था है, उसे भी नरेन्द मोदी की सरकार ने इस सौदे से हटा दिया।
पूर्व में विदेश मंत्रालय के सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया था कि राफेल से वर्तमान में कोई सौदा नहीं हुआ है लेकिन दो दिन बाद ही ऐसा क्या हुआ कि प्रधानमंत्री ने खुद ही इस सौदे को हरी झंडी दे दी।
इस दौरान जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक, कांग्रेस जिला महामंत्री शफी अहमद, उपाध्यक्ष अजय अग्रवाल, शैलेन्द्र प्रताप सिंह, महापौर डॉ. अजय तिर्की, रीता सेन सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
दस दिन पूर्व ही कंपनी का पंजीयन
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि वर्ष 2015 में एनडीए की सरकार ने राफेल सौदा को बदलते हुए अनिल अंबानी की कम्पनी को टेंडर दे दिया। सरकार ने 126 विमान की जगह 36 विमान खरीदने का सौदा 60 हजार 145 करोड़ रुपए में किया गया। इसमें सबसे बड़ी बात यह थी कि रिलायंस इंनफ्रास्ट्रक्चर के पास रक्षा सौदे के संबंध में किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं था। सौदे से महज 10 दिन पूर्व ही कम्पनी का पंजीयन कराया गया था।
दस दिन पूर्व ही कंपनी का पंजीयन
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि वर्ष 2015 में एनडीए की सरकार ने राफेल सौदा को बदलते हुए अनिल अंबानी की कम्पनी को टेंडर दे दिया। सरकार ने 126 विमान की जगह 36 विमान खरीदने का सौदा 60 हजार 145 करोड़ रुपए में किया गया। इसमें सबसे बड़ी बात यह थी कि रिलायंस इंनफ्रास्ट्रक्चर के पास रक्षा सौदे के संबंध में किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं था। सौदे से महज 10 दिन पूर्व ही कम्पनी का पंजीयन कराया गया था।
पूर्व में 18 विमान रेडी-टू-फ्लाई स्थिति में मिलता
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि यूपीए सरकार ने 10.2 विलियन डालर में 126 राफेल जेट विमान खरीदने का सौदा हुआ था। इसमें कम्पनी को 18 विमान को रेडी-टू-फ्लाई हालत में दिया जाना था। शेष 108 विमान हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड द्वारा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से देश में ही बनाये जाने थे।
दोहरे इंजन से लैस है फ्रांसीसी लड़ाकू विमान
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेन ने कहा कि राफेल अनेक भूमिकाएं निभाने वाला एवं दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन ने किया है। राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है।
आफसेट डील कर पहुंचाया करोड़ों का फायदा
टीएस सिंहदेन ने कहा कि देश की रक्षा के लिए विमान मिलते तो 36 हजार करोड़ का आफसेट सौदा भी किया गया। इसके तहत विमान के कलपूर्जों को उपलब्ध कराना था लेकिन प्रधानमंत्री ने अपन मित्र को फायदा पहुंचाने के लिए लाइफ टाइम मेटेंनेस के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का भी आफसेट सौदा सौंप दिया गया।