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अपरिचितों के लाइक-कमेंट के चक्कर में हम इस चीज से होते जा रहे दूर, करना होगा ये काम

locationअंबिकापुरPublished: Jun 06, 2019 05:04:31 pm

आज की दुनिया में सोशल साइट पर अधिकांश लोग बिता रहे समय, सामने बैठे लोगों की अपेक्षा दूर के लोगों को दे रहे तरजीह

Social media

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अंबिकापुर. सोशल साइटों की आभासी दुनिया ने वास्तविक दुनिया में दूरी पैदा कर दी है। इन्टरनेट पर यू-टूयब, फेसबुक, ह्वाट्सऐप, ट्विटर, लिंकदेन, इन्सटाग्राम पर व्यस्तताओं ने निजी जीवन का समय छीन लिया है। यह बातें बुधवार को साईं बाबा आदर्श महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक रितेश कुमार वर्मा ने पत्रिका से चर्चा के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि सोशल साइटों का उपयोग सूचनाओं के लिए प्रवाह से अधिक स्वयं को प्रदर्शित करने में हो रहा है। वर्तमान में लोग साथ में भी हैं तो शुभकामना, प्रणाम, बधाई जैसे शिष्टाचार को सोशल साइटों के माध्यम से दे रहे हैं। सच तो यह है सामने उपस्थित व्यक्ति, रिश्ते की अपेक्षा दूर के व्यक्ति को महत्व दे रहा है।
कभी-कभी तो आभासी दुनिया में अपरिचित के लाइक, कमेंट के चक्कर में वास्तविक पसन्द को दूर कर दिया जा रहा है। कम्प्यूटर एवं टेक्नॉलाजी विभाग के रितेश वर्मा ने बताया कि सोशल साइटों पर अनियंत्रित समय देने का परिणाम रात की नींद खराब हो रही है।
उपयोक्ता व्यक्तिगत दिनचर्या के समय में सोशल साइटों पर चैटिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि रात को जब कामकाजी लोग घर लौटते हैं तो दूसरे की दिनभर की दिनचर्या को जानने और अपनी बताने की उत्सुकता रहती है। ऐसे में देर रात तक लोग सोशल साइटों पर समय बिता रहे हैं।

सोशल साइटों ने बढ़ाया एकाकीपन
जिला चिकित्सालय मनोचिकित्सा काउंसलर डा. माधुरी मिंज ने बताया कि नेट नहीं, हम फ्री हो गये हैं। सोशल साइटों का उपयोग युवाओं व किशोरों में ज्यादा बढ़ गया है। सोशल साइटों ने दिनचर्या को प्रभावित किया है।
उन्होंने बताया कि जब सामाजिक जिन्दगी में एकाकीपन बढ़ता है तो सोशल साइटों पर ज्यादा समय खर्च होने लग रहा है। लोगों को चाहिए वास्तविक जीवन को आभासी जीवन की अपेक्षा अधिक महत्व दें। वास्तविक समाज में जीवन है। बच्चों को मोबाइल सोशल साइटों से दूर रखें।

अभिभावक की सावधानी से बचेगा समाज
राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. तृप्ति विश्वास ने बताया कि सोशल साइटों में आभासी (वर्चुअल) दुनिया के बढ़ते प्रभाव का कारण लोगों का आत्मकेन्द्रित होना है। सामने व्यक्ति बैठा है लेकिन दूर वाले से जुड़ा होना ठीक नहीं है। ऐसा करना वास्तविकता से दूर होना है।
सोशल साइटों से जरूरत के अतिरिक्त सूचनाएं प्रवाहित हो रही हैं, जिनका उपयोग नहीं है। गलत सूचनाओं से समय की बर्बादी हो रही है और दिमाग में गलत संदेश जा रहे हैं। सोशल साइटों से मिली सूचनाओं को उपयोक्ता सही मान रहा है।
ऐसे में अभिभावक को सावधान होना होगा। अभिभावक की सावधानी से समाज बचेगा। बच्चों को मोबाइल नहीं दें। सरकार भी नियम बनाए कि सोशल साइटों का उपयोग नियंत्रित हो सके।


सोशल साइटों की लत से पाना होगा छुटकारा
सोशल साइटों का नियंत्रित उपयोग होना चाहिए तथा इसमें समय की निश्चितता जरूरी है। उपस्थित व्यक्ति को कभी दरकिनार न करें बल्कि सोशल साइटों के मित्रों को वहां मौजूद व्यक्ति के बाद स्थान दें। सोशल साइटों के चक्कर में दिनचर्या बर्बाद नहीं करें।

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