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महिला को झेलगी में १० किमी ढोकर अस्पताल पहुंचे परिजन

locationअंबिकापुरPublished: May 14, 2022 08:44:43 pm

मैनपाट के पहुंचविहीन ग्रामों-पारों में आवागमन की सुविधा नहीं होने का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी किसी के बीमार पडऩे व बारिश के मौसम में होती है। मैनपाट से अक्सर बीमार लोगों को झेलगी में ढोकर कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल या एंबुलेंस तक पहुंचने की तस्वीरें सामने आती रहतीं हैं। ऐसे ही एक मामले में बीमार महिला को परिजन द्वारा झेलगी में ढोकर १० किमी पैदल चलकर अस्पताल पहुंचने का मामला सामने आया है।

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महिला को झेलगी में १० किमी ढोकर अस्पताल पहुंचे परिजन

अंबिकापुर। मैनपाट के पहुंचविहीन ग्रामों-पारों में आवागमन की सुविधा नहीं होने का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी किसी के बीमार पडऩे व बारिश के मौसम में होती है। मैनपाट से अक्सर बीमार लोगों को झेलगी में ढोकर कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल या एंबुलेंस तक पहुंचने की तस्वीरें सामने आती रहतीं हैं।
ऐसे ही एक मामले में बीमार महिला को परिजन द्वारा झेलगी में ढोकर १० किमी पैदल चलकर अस्पताल पहुंचने का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार मैनपाट के पहुंचिविहीन ग्राम टेढ़ासेमर में रहने वाली पहाड़ी कोरवा महिला राजकुमारी पति गोर सिंह उम्र २२ वर्ष की ४ माह पहले डिलीवरी हुई थी।
अभी ५ दिन से उसके पेट में दर्द हो रहा था। इस बीच शनिवार को उसके पेट में असहनीय दर्द उठा। उसकी यह हालत देख परिजन घबरा गए। परिजन जागरूकता व जानकारी के अभाव में संजीवनी १०८ एंबुलेंस को फोन नहीं लगाए। वहीं टेढ़ासेमर तक सडक़ की सुविधा नहीं होने से परिजन महिला को झेलगी में ढोकर ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नर्मदापुर के लिए निकल पड़े।
इस गर्मी के मौसम में परिजन महिला को झेलगी में ढोकर करीब १० किलोमीटर पैदल चलते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नर्मदापुर पहुंचे। फिर यहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार व जांच के बाद महिला की गंभीर स्थिति देखते हुए चिकित्सकों ने उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया।

हाथी ने तोड़ दिया था घर
चर्चा के दौरान परिजन ने बताया कि टेढ़ासेमर में सडक़ की सुविधा नहीं है, साथ ही उन्हें एंबुलेंस के नंबर की जानकारी भी नहीं थी। इसकी वजह से वे महिला को झेलगी में ढोकर अस्पताल तक पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनका मकान बिकुल ढाब में था, जिसे हाथी ने तोड़ डाला था। इसकी वजह से वे टेढ़ासेमर में आकर रह रहे थे। टेढ़ासेमर रायगढ़ बॉर्डर पर स्थित पहुंचविहीन ग्राम है।
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