जब भी दुल्हन के दरवाजे पर बारात आती है तो उसके परिजन फूल-मालाओं व अन्य तरह से उनका स्वागत करते हैं। लेकिन मैनपाट (Mainpat) का मांझी समुदाय वर्षों से अपनी अनूठी परंपरा व संस्कृति का संजोए हुए है।
भैंसा व तोता गोत्र में ऐसे करते हैं स्वागत
मांझी समुदाय में जब भैंसा गोत्र के लोगों की शादी होती है तो बारातियों का स्वागत कीचड़ में लपेटकर व खुद लोटकर डांस करते हुए किया जाता है। इसमें दूल्हा व दुल्हन पक्ष दोनों को खुशी मिलती है।
ऐसे करते हैं तैयारी
भैंसा गौत्र में दुल्हन पक्ष के लोग बारात आने से पूर्व मिट्टी खेलने की तैयारी करके रखते हैं। एक खेत में मिट्टी को कीचडय़ुक्त बनाया जाता है। बारात पहुंचने के बाद कीचड़ में एक-दूसरे को सराबोर करते हैं। इस दौरान मांझी समाज के साथ ही आसपास रहने वाले सभी लोग बारातियों के सामने मिट्टी खेलकर अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं। जब कभी किसी मांझी के घर बारात पहुंचता है तो कीचड़ में खेलने के लिए हुजूम उमड़ पड़ता है।
कीचड़ नहीं लपेटने की दी जाती है समझाइश
समाज के लोगों का कहना है कि अलग-अलग गोत्र के अनुसार समाज की परम्परा है, इसका पालन किया जा रहा है। हालांकि लोगों को समझाइश दी जाती है कि अब हमारे समाज में भी बाराती अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर आते हैं। उन्हें मिट्टी खेलने के दौरान कीचड़ में न पटकें।
मैनपाट (Mainpat) जहां अपने ठंड के लिए पूरे प्रदेश में पहचान बनाए हुए हैं, उसी तरह यहां के मांझी आदिवासी समाज भी अपनी अनूठी संस्कृति की वजह से पहचाना जाता है। समाज के लोग जहां आज भी कंदमूल खाते हैं वहीं विवाह जैसे आयोजन में कम खर्च कर ज्यादा आनंद उठाते हैं। मांझी समाज के लोग अपनी संस्कृति की वजह से प्रदेश में अलग पहचान बनाए हुए हैं।