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नए अधिनियम में अब ऑनलाइन कारोबार व टेलीमार्केटिंग में उपभोक्ताओं की अनदेखी कंपनियों को पड़ेगी भारी

locationअंबिकापुरPublished: Aug 09, 2020 01:10:38 pm

Online business: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 हुआ प्रभावी, ऑनलाइन-टेलीमार्केटिंग की शिकायत सुन सकेगा जिला आयोग

नए अधिनियम में अब ऑनलाइन कारोबार व टेलीमार्केटिंग में उपभोक्ताओं की अनदेखी कंपनियों को पड़ेगी भारी

Consumers protection act effective

अंबिकापुर। उपभोक्ता हितों के संरक्षण हेतु बना देश के लगभग 35 साल पुराने कानून उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumers protection act) 1986 के स्थान पर अब नया कानून उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू हो गया है। इस नए कानून के लागू हो जाने के बाद से उपभोक्ताओं के अधिकार पहले से और अधिक बढ़ गए हैं।
नए कानून उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के सदस्य नवनीकांत दत्ता ने बताया कि नए अधिनियम के सम्बन्ध में भारत के राजपत्र में अधिसूचना भी जारी हो चुकी है। इसके अनुसार यह अधिनियम 20 जुलाई 2020 से सम्पूर्ण भारत देश में प्रभावी हो गया है।
इस अधिनियम के लागू होते ही राष्ट्रीय व राज्य आयोग की तरह जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम अब जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग कहलाएगा। इसके क्षेत्राधिकार और कार्यप्रणाली में पहले से अधिक विस्तार किये गए हैं। (Online business)
जिला आयोग के समक्ष होने वाली कार्यवाही भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के अंतर्गत न्यायिक कार्यवाही और दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत दंड न्यायालय माना जाएगा, जिसे विवाद के निराकरण में जुर्माना लगाना व कारावास का दंड देने का भी अधिकार होगा।

उन्होंने बताया कि जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार को भी बढ़ाया गया है, जिसे अब 1 करोड़ तक के मामलों की सुनवाई का अधिकार होगा जो पहले 20 लाख तक की थी, जबकि राज्य आयोग में 1 से 10 करोड़ तक तथा राष्ट्रीय आयोग में 10 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य वाली वस्तुओं और सेवाओं से संबंधित शिकायतें सुनी जायेंगी।
नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में शिकायत करने के क्षेत्राधिकार में बदलाव किया गया जिसके अनुसार शिकायतकर्ता अब आयोग के क्षेत्राधिकार में निवासरत होने पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पुराने अधिनियम में जिला फोरम को पुनर्विलोकन की शक्तियां प्राप्त नहीं थी परंतु नए अधिनियम के अनुसार कुछ विशेष परिस्थितियों में जिला आयोग को पुनर्विलोकन की शक्तियां दी गर्इं हैं।
इसके साथ ही जिला आयोग के आदेश के विरुद्ध अपील करने पर आदेशित राशि की 50 प्रतिशत रकम जमा करने के बाद ही राज्य आयोग में अपील की जा सकेगी। जिला आयोग के आदेश से असंतुष्ट पक्षकार के लिए राज्य आयोग में अपील करने के लिए 30 दिनों की समय सीमा बढाकर 45 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गई है।

अनुचित व्यापार पर लगाम लगाने कई प्रावधान
नवनीकांत दत्ता ने बताया कि ऑनलाइन कारोबार (Online business) व टेलीमार्केटिंग में उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी कंपनियों पर अब भारी पड़ सकती है और उन पर भी अब नए अधिनियम के अंतर्गत मामला जिला, राज्य अथवा राष्ट्रीय आयोग में चल सकता है।
अनुचित व्यापार प्रथा पर लगाम लगाने के लिए अन्य कई बड़े प्रावधान किये गये हैं, जिसमें उपभोक्ता की शिकायत पर बिक्री किये गये उत्पादों और दी गई सेवा से संबंधित रसीद नहीं देने, बेचे गये त्रुटिपूर्ण उत्पाद को वापस नहीं लेने और उपभोक्ता द्वारा दी गई गोपनीय जानकारियों को किसी और से साझा करने पर भी कार्रवाई हो सकेगी।
उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, व्यापार की अव्यवहारिक गतिविधियों, गलत और गुमराह करने वाले विज्ञापन जैसे मामलों में प्रावधान पहले से अधिक सख्त किये गये हैं जिसमें जुर्माने के साथ जेल अथवा दोनों एक साथ का दंड दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है। जनहित याचिका के माध्यम से भी शिकायत दर्ज की जा सकेगी।

उत्पाद की गुणवत्ता हेतु जिम्मेदारी तय
उपभोक्ता के अधिकारों के संरक्षण व उसे अधिक प्रभावशील करते हुए नए अधिनियम में उत्पाद की गुणवत्ता हेतु जिम्मेदारी तय की गई है। (Online business)

उपभोक्ताओं को अनुचित उपभोक्ता अनुबंध के खिलाफ एवं भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ शिकायत करने के अधिकार भी प्राप्त होंगे एवं इस सम्बन्ध में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण का भी गठन किया जायेगा जो उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन अनुचित व्यापार और भ्रामक विज्ञापन से सम्बन्धित मामलों को निगरानी, शिकायत की सुनवाई एवं उसकी जांच कर विनियमित कर सकेगा।

इन मामलों में आसानी से कर सकते हैं शिकायत
नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अनुसार ऑफलाइन और ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से, टेलीशॉपिंग या सीधे खरीद के जरिये किये जाने वाले सभी तरह के लेन-देन को भी शामिल किया गया है।
उपभोक्ता अनुचित और प्रतिबंधित तरीके से किये जाने वाले व्यापार, दोषपूर्ण वस्तु या सेवा, अधिक कीमत वसूलना या गलत तरीके से कीमत वसूलना और ऐसी वस्तुओं या सेवाओं को बिक्री के लिए प्रस्तुत करना जो जीवन और सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकती है अथवा भ्रामक विज्ञापन के सम्बन्ध में उनके विरुद्ध अपनी शिकायत को पहले से अधिक आसानी से दर्ज करा सकते हैं।
जो उत्पन्न विवादों के त्वरित सुनवाई व निराकरण हेतु बनाया गया है निश्चित ही अब उपभोक्ता गुणवत्ता युक्त उत्पाद व सेवा प्राप्त प्राप्त कर सकेंगे और ऐसा नहीं होने की स्थिति में शिकायतकर्ता उनके विरुद्ध जिला, राज्य अथवा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत कर सकते हैं।
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