डॉक्टरों के लिए भी पहेली बना लुईस
मेक्सिको के डॉक्टरो के लिए भी बच्चे का वजन बढ़ना एक पहेली बना हुआ है, क्योंकी डॉक्टर भी ये पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर बच्चे का वजन बढ़ क्यों रहा है। बच्चे के माता-पिता ने शुरुआत में वजन बढ़ने की समस्या को सीरियस नहीं लिया। उन्होंने सोचा कि बच्चे की ग्रोथ अच्छी है, लेकिन जब बच्चा 10 महीने का हो गया अब वो हैरान हैं कि इस समय उसका वजन 28 किलो पार कर गया है।
मेक्सिको के डॉक्टरो के लिए भी बच्चे का वजन बढ़ना एक पहेली बना हुआ है, क्योंकी डॉक्टर भी ये पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर बच्चे का वजन बढ़ क्यों रहा है। बच्चे के माता-पिता ने शुरुआत में वजन बढ़ने की समस्या को सीरियस नहीं लिया। उन्होंने सोचा कि बच्चे की ग्रोथ अच्छी है, लेकिन जब बच्चा 10 महीने का हो गया अब वो हैरान हैं कि इस समय उसका वजन 28 किलो पार कर गया है।
जन्म के समय था वजन 3 किलो
मेक्सिको के पेसिफिक कोस्ट के कोलिमा शहर के इस बच्चे का नाम लुईस गोन्जालेस है। लुईस की समस्या को लेकर डॉक्टर भी चिंतित हैं और उन्हें भी कुछ समझ नहीं आ रहा है। लुईस के माता-पिता बताते हैं कि जन्म के समय ही उसका वजन साढ़े 3 किलो था। हालांकि ये इतना हैरान करने वाला नहीं था, क्योंकी अमूमन जन्म के समय बच्चे 4 किलो तक के पैदा होते हैं। लेकिन लुईस का धीरे-धीरे वजह बढ़ना चिंताजनक हो गया।
मेक्सिको के पेसिफिक कोस्ट के कोलिमा शहर के इस बच्चे का नाम लुईस गोन्जालेस है। लुईस की समस्या को लेकर डॉक्टर भी चिंतित हैं और उन्हें भी कुछ समझ नहीं आ रहा है। लुईस के माता-पिता बताते हैं कि जन्म के समय ही उसका वजन साढ़े 3 किलो था। हालांकि ये इतना हैरान करने वाला नहीं था, क्योंकी अमूमन जन्म के समय बच्चे 4 किलो तक के पैदा होते हैं। लेकिन लुईस का धीरे-धीरे वजह बढ़ना चिंताजनक हो गया।
इन दिक्कतों का होता है सामना
लुईस के पैरेंटस बताते हैं कि इतनी कम उम्र में इतना ज्यादा वजन होना हमारे लिए बहुत दिक्कत खड़ी करता है। लुईस के पेरेंट्स बताते हैं कि पैदाइश के दो महीने बाद ही हालत ऐसे थे कि उसे दो से तीन साल की उम्र के बच्चे के कपड़े पहनाने पड़ते थे। दो महीने में उसका वजन 10 किलो था। इसके बाद के आठ महीने में इसका वजन 18 किलो और बढ़ गया। स्थिति ये है कि वो क्रॉलिंग भी नहीं कर सकता।
लुईस के पैरेंटस बताते हैं कि इतनी कम उम्र में इतना ज्यादा वजन होना हमारे लिए बहुत दिक्कत खड़ी करता है। लुईस के पेरेंट्स बताते हैं कि पैदाइश के दो महीने बाद ही हालत ऐसे थे कि उसे दो से तीन साल की उम्र के बच्चे के कपड़े पहनाने पड़ते थे। दो महीने में उसका वजन 10 किलो था। इसके बाद के आठ महीने में इसका वजन 18 किलो और बढ़ गया। स्थिति ये है कि वो क्रॉलिंग भी नहीं कर सकता।
इलाज के लिए फेसबुक पर लगाई मदद की गुहार
बच्चे की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि वो प्रैडर विली सिंड्रोम से पीड़ित हो सकता है। ये जेनेटिक कंडीशन होती है, जिसमें बच्चों को जरूरत से ज्यादा भूख लगती हैं और मसल्स कमजोर हो जाती हैं। डॉक्टर्स उसके हार्मोंस ट्रीटमेंट की तैयारी कर रहे हैं। इसमें हर बार ट्रीटमेंट पर करीब 36 हजार रुपए का खर्च आ सकता है, जबकि उसे पिता की महीने की इनकम सिर्फ 13 हजार रुपए है। अब उन्होंने इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने फेसबुक पर एक पेज बनाया है, जिसके द्वारा वो लोगों से मदद मांग रहे हैं।
बच्चे की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि वो प्रैडर विली सिंड्रोम से पीड़ित हो सकता है। ये जेनेटिक कंडीशन होती है, जिसमें बच्चों को जरूरत से ज्यादा भूख लगती हैं और मसल्स कमजोर हो जाती हैं। डॉक्टर्स उसके हार्मोंस ट्रीटमेंट की तैयारी कर रहे हैं। इसमें हर बार ट्रीटमेंट पर करीब 36 हजार रुपए का खर्च आ सकता है, जबकि उसे पिता की महीने की इनकम सिर्फ 13 हजार रुपए है। अब उन्होंने इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने फेसबुक पर एक पेज बनाया है, जिसके द्वारा वो लोगों से मदद मांग रहे हैं।