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टैटू बनाकर कहा- पुनर्जीवित नहीं होना ,तो डॉक्टरों ने नहीं किया ऑपरेशन, मरीज की गई जान

locationनई दिल्लीPublished: Dec 03, 2017 05:44:59 pm

Submitted by:

ashutosh tiwari

अमरीका में फ्लोरिडा के एक अस्पताल में एक अजीबों-गरीब केस ने डॉक्टरों को धर्मसंकट में डाल दिया उलझन की वजह मरीज के शरीर पर बना एक टैटू था।

do not resuscitate
वाशिंगटन। आमतौर पर डॉक्टर ऑपरेशन टेबल पर आए हर शख्स की जान बचाने की कोशिश करते हैं। लेकिन अमरीका के फ्लोरिडा में डॉक्टरों ने ऑपरेशन टेबल पर आने के बावजूद एक मरीज का इलाज नहीं किया। इससे उसकी जान चली गई। वजह था एक टैटू। मामला मियामी के जैक्सन मेमोरियल अस्पताल का है।
टैटू को माना आखिरी इच्छा
असल में एक 70 वर्षीय व्यक्ति को सांस में तकलीफ के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के मुताबिक मरीज के पास पहचान बताने वाला कोई दस्तावेज नहीं था और वह बेहोश था। उसके शरीर में काफी मात्रा में शराब पाई गई। जब उसे ऑपरेशन टेबल पर लाया गया, तो देखा कि छाती पर टैटू के जरिये लिखा था- ‘डू नॉट रेसुसीटैट’ यानी ‘पुनर्जीवित नहीं होना’। डॉक्टरों ने इसे मरीज की आखिरी इच्छा माना और इलाज नहीं किया।
दुविधा में थे डॉक्टर
टैटू देखकर डॉक्टर इलाज के निर्णय पर दोबारा विचार करने पर मजबूर हो गए। किसी मरीज को मरता छोडऩा डॉक्टरों नीति के खिलाफ था। इसलिए शुरुआत में डॉक्टरों ने टैटू के संदेश को नजरअंदाज करने का फैसला किया, लेकिन ‘नॉट’ पर जोर दिया गया था। तब डॉक्टरों ने नैतिक सलाहकार से बात की। इस दौरान मरीज को प्राथमिक उपचार मुहैया कराया। सलाहकार ने टैटू के संदेश को प्राथमिकता देने की सलाह दी। इसके बाद मरीज की देर रात मौत हो गई।
सही था डॉक्टरों का फैसला
कुछ समय बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य विभाग से उस व्यक्ति की ‘डीएनआर’ फॉर्म की कॉपी बरामद की। इससे डॉक्टरों को यकीन हो गया कि उनका फैसला सही था। पुनर्जीवित न करें (डीएनआर) या ‘नो कोड’ को ‘प्राकृतिक मौत की अनुमति’ भी कहा जाता है। सरकार की ओर से दिए जाने वाले इस कोड को अस्पताल में कानूनी मान्यता हासिल है। डॉक्टर ऐसे मरीज का किसी भी तरह की बीमारी में इलाज न करने के लिए बाध्य होते हैं।
पहले भी आया ऐसा मामला
2012 में भी मियामी में ऐसा एक मामला आया था। डॉक्टरों को तब भी दुविधा का सामना करना पड़ा था। तब 59 वर्षीय मरीज की छाती पर डीएनआर लिखा था। हालांकि बाद में पता चला वो टैटू महज एक शर्त पूरा करने के लिए बचपन में बनाया था। उसकी इच्छा या कानूनी ‘डीएनआर’ से इसका कोई लेना देना नहीं था।
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