तानाशाह के खतरनाक मंसूबों के खिलाफ
दरअसल, न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, अमरीका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और जापान के विदेश मंत्री टारो कोनो के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक हुई है। इस बैठक में चीन और नॉर्थ कोरिया को लेकर चर्चा की गई। बैठक के बाद तीनों विदेश मंत्रियों की ओर से एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की गई है। विज्ञप्ति में कहा गया कि किसी भी देश की विस्तारवादी नीतियों या उत्तर कोरिया के तानाशाह के खतरनाक मंसूबों के खिलाफ एक साथ खड़े हैं। साझा बयान में कहा गया कि भारत, अमेरिका और जापान के बीच समुद्री आवागमन, कनेक्टिविटी से जुड़े सहयोग पर चर्चा हुई। इसमें साउथ चाइना सी का नाम नहीं लिया गया है लेकिन कहा गया है कि तीनों मंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय कानून व नियमों के मुताबिक हर देश के जहाज को आने जाने की स्वतंत्रता दिलाने पर बात की है।
मुश्किलों में घिर सकता है चीन
वहीं कनेक्टिविटी मुद्दे पर भारत को मिले अमरीका और जापान के सहयोग के बाद चीन के लिए गुलाम कश्मीर में बीआरआइ के तहत सड़क व रेलमार्ग का निर्माण करना मुश्किल भरा साबित हो सकता है। बता दें कि चीन इस मार्ग को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ कर उसे मध्य एशिया से जोड़ते हुए यूरोपीय देशों तक ले जाना चाहता है। जबकि गुलाम कश्मीर को भारत अपना अभिन्न अंग मानता है। ऐसे में चीन द्वारा पीओके में चलाई जा रही योजनाओं को भारत विरोध कर रहा है। भारत का कहना है कि यह उसकी भौगोलिक अखंडता का उल्लंघन करता है। इस मुद्दे पर अप्रैल, 2017 में जब चीन सरकार ने वैश्विक बैठक की तो भारत ने उसमें हिस्सा नहीं लिया।