हमले में न्यूयॉर्क की नाक कही जाने वाली इमारत वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पलभर में राख हो गई। अल कायदा के आतंकी हमले में हजारों अमेरिकी मौत की नींद सो गए
नई दिल्ली: 11 सितम्बर 2001 (9/11 हमला) को संयुक्त राज्य अमेरिका पर अल-क़ायदा द्वारा समन्वित आत्मघाती हमलों की श्रृंखला थी। इस आतंकी हमले में न्यूयॉर्क की नाक कही जाने वाली इमारत वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पलभर में राख हो गई। अल कायदा के आतंकी हमले में हजारों अमेरिकी बेवक्त मौत की नींद सो गए। उस दिन सबेरे, 19 अल कायदा आतंकवादियों ने चार वाणिज्यिक यात्री जेट एअरलाइनर्स का अपहरण कर लिया था।
आतंकियों ने उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा भवनों के अंदर काम करने वाले अन्य अनेक लोग भी मारे गए।
दुनिया पर धाक जमाने वाला अमेरिका उस समय थर्रा उठा था, जब अलकायदा के आतंकियों ने चार यात्री विमान अगुआ कर भारी तबाही मचाई। चार में से दो विमान न्यूयॉर्क शहर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकरा गए। तीसरा पेंटागन पर और चौथा विमान जंगल में गिरा दिया गया। विमान में सवार यात्रियों सहित 2974 लोग मारे गए और करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ।
अब खबर आई है कि इस 13 साल पुराने मामले से जुड़े एक अन्य मामले का निपटारा हो गया है। अमेरिकी एयरलाइंस और युनाइटेड एयरलाइंस का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावर्स का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी डेवलपर लैरी सिल्वरस्टीन के बीच समझौता बन गया है। इन दोनों एयरलाइंस ने सिल्वरस्टीन के 616.82 करोड़ रुपए के दावे को मान लिया है।
हालांकि पहले सिल्वरस्टीन ने विमानन कंपनियों ने हवाई अड्डा सुरक्षा कंपनियों से 797.78 अरब रुपए की मांग की थी। लेकिन रकम ज्यादा होने के कारण दोनों पक्षों में 616.82 करोड़ रुपए पर सहमति बन गई। बताया जा रहा है कि इस मामले पर अभी अमेरिका के डिस्ट्रिक जज एल्विन हेलरस्टीन से मंजूरी मिलनी बाकी है।
बता दें कि अलकायदा द्वारा रचित इस आतंकी हमले के महज 6 हफ्ते पहले ही इस कंपनी सिल्वरस्टीन ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की जगह को 99 साल तक के लिए लीज पर लिया था। सिल्वरस्टीन द्वारा लीज पर लेने से पहले इसपर पोर्ट अथॉरिटी ऑफ न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी का आधिपत्य था।