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संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश ने उठाया रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा, कहा- जल्द हो समस्या का समाधान

locationनई दिल्लीPublished: Sep 28, 2018 09:32:09 pm

Submitted by:

mangal yadav

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों का मुद्दा उठाया।

संयुक्त राष्ट्रः बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रोहिंग्या शरणार्थियों को जल्द म्यांमार वापस भेजे जाने का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में बहस के दौरान अपने भाषण में उन्होंने कहा कि शरणार्थियों को स्वदेश भेजने की प्रक्रिया स्थायी और सतत तरीके से शुरू नहीं हुई है। उन्होंने कहा, “म्यांमार हमारा पड़ोसी देश है। शुरुआत से ही, हम द्विपक्षीय संपर्क से रोहिंग्या संकट का शांतिपूर्ण समाधान निकाले जाने का प्रयास कर रहे हैं।” हसीना ने कहा, “अबतक, रोहिंग्या को स्वदेश भेजे जाने के लिए बांग्लादेश और म्यांमार के बीच तीन द्विपक्षीय समझौते हो चुके हैं। रोहिंग्या को वापस अपने देश बुलाने की मौखिक प्रतिबद्धता के बावजूद, वास्तव में म्यांमार प्रशासन को अभी भी उन्हें वापस स्वीकार करना है।”

शरणार्थियों का मामला सुलझाने की मांग
प्रधानमंत्री ने कहा, “रोहिंग्या संकट की उत्पत्ति म्यांमार में हुई है। इसलिए, इसका उपाय भी म्यांमार में खोजा जाना चाहिए..हम रोहिंग्या संकट का तत्काल, शांतिपूर्ण हल चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि रोहिंग्या बांग्लादेश में एक अनिश्चित स्थिति में रह रहे हैं। हसीना ने कहा कि बांग्लादेश ने शरणार्थियों के लिए नई आवास सुविधा पर काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, “जबतक रोहिंग्या अपने घर वापस नहीं लौटते हैं, वे एक अस्थायी व्यवस्था के तहत उन्हें अच्छे तरीके से रख सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में म्यांमार सरकार दोषी
इससे पहले रोहिंग्या शरणार्थियों के मामले में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में म्यांमार सरकार को दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि म्यांमार सेना के कमांडर इन चीफ सहित शीर्ष सैन्य अधिकारियों से रखाइन राज्य में नरसंहार और अन्य इलाकों में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए पूछताछ हो और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के तथ्यान्वेषी मिशन द्वारा सैकड़ों लोगों के साक्षात्कारों, शोधों और विश्लेषणों पर आधारित है। इस रपट में म्यांमार सेना के कृत्यों की संयुक्त राष्ट्र द्वारा कड़े शब्दों में निंदा की गई है। आरोप है म्यांमार सेना ने पिछले साल अगस्त में रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार किए थे।

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