कोमा में ही हुई सीजेरियन डिलीवरी
28 वर्षीय अमांडा जब कोमा में गई थी उस वक्त वो 37 हफ्ते की गर्भवती थीं। कोमा में ही रहते हुए ही उनकी सीजेरियन डिलीवरी हुई। बताया जा रहा है कि अमांडा को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान अपने पति से बुरी तरह बहस हो गई, जिसकी वजह से उसकी तबीयत बिगड़ गई। उनके कोमा में जाने के बाद डॉक्टरों के सामने गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाने की चुनौती थी। इसीलिए सीजेरियन ऑपरेशन का फैसला किया गया।
बच्चे को छुआ और उसके आंखों से आंसु निकल आए
जन्म के समय नवजात का वजन 2.1 किलो था, जिस कारण उसे भी देखरेख की बेहद जरूरत थी। हालांकि बच्चे के जन्म के बाद मां कोमा में ही थी। आखिरकार दो हफ्ते तक जब वो चलने और बोलने के काबिल नहीं हो पाई तो एक नर्स ने ही ये सुझाव दिया। उसने बेटे को अमांडा की छाती जैसे ही रखा, अमांडा की धड़कनें तेज चलने लगी। अमांडा ने बच्चे को छुआ और उसके आंखों से आंसु निकल आए। इसके बाद से ही अमांडा की हालत में सुधार हुआ, जिसते बाद वो घर जा पाई।
किसी चमत्कार से कम नहीं
इस पूरे मामले पर उस नर्स ने मीडिया को बताया कि बच्चे को छुते ही मां के शरीर में चेतना आने का हालांकि कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। लेकिन जो हुआ, उससे ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मां-बच्चे का स्पर्श एक दूसरे के लिए चमत्कारी है। वहीं अमांडा ने भी इस बारे में बात की। उन्होंने कहा- मेरे बेटे के जन्म के बारे में मुझे कुछ नहीं पता चला। लेकिन जब मेरी छाती से उसका स्पर्श हुआ तो मुझे उसकी खुशबू आई। ये किसी चमत्कार से कम नहीं है।