भाड़े के सैनिकों वाला वैगनर ग्रुप भी
निजी आर्मी रखने वाले रूस के वैगनर ग्रुप को विशेष चिंता के संगठन (Entities of Particular Concern) सूची में शामिल किया गया है। वैगनर भाड़े के सैनिकों वाला एक निजी अर्धसैनिक संगठन है, जो सीरिया, अफ्रीका और यूक्रेन में सक्रिय है। हाल में इस समूह ने यूरोपियन यूनियन को कथित रूप से खून सना हथौड़ा भेजा था। अन्य नाम अल-शबाब, बोको हरम, हयात तहरीर अल-शाम, हौथिस, आईएसआईएस-ग्रेटर सहारा, आईएसआईएस-पश्चिम अफ्रीका, जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमिन और तालिबान के हैं।
देशों के नाम उजागर किए जाने से पहले अमेरिकी मुस्लिम परिषद (Indian American Muslim Council )जैसे समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर लॉबिंग करते हुए भारत को चिंता का देश के रूप में नामित करने का दबाव था लेकिन यह प्रयास बेकार गए। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी आयोग ने 2019 में देश में धार्मिक स्वतंत्रता में ‘तीव्र गिरावट’ का हवाला देते हुए अपनी 2020 की रिपोर्ट में भारत को ‘विशेष चिंता का देश’ के रूप में चिह्नित किया था। जिसका भारत ने पुरजोर विरोध किया। इसके बाद अभी तक अमरीकी सरकार ने भारत को चिंता या विशेष चिंता वाले देशों की सूची में नहीं जोड़ा है।
ब्लिकन ने कहा कि अमेरिका दुनिया भर के सभी देशों में धर्म की स्वतंत्रता की स्थिति की करीब से निगरानी करना जारी रखेगा और धार्मिक उत्पीड़न या भेदभाव का सामना करने वालों की वकालत करेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में, सरकारें और गैर-सरकारी तत्व लोगों को उनके धार्मिक विश्वासों के आधार पर धमकी देते हैं, जेल में डालते हैं और यहां तक कि उन्हें मार भी देते हैं।
एंटी—हिजाब प्रदर्शनकारियों पर क्रूर कार्रवाई को लेकर अमेरिका ने ईरान पर दबाव बढ़ा दिया है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 16 सितंबर को 22 वर्षीय कुर्द महिला महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों में अब तक 300 से अधिक लोग मारे गए हैं और 14,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने ईरान से धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को रोकने का आग्रह किया है। बहाई समुदाय ईरान में सबसे गंभीर रूप से उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों में से एक है।
अमेरिका ने शिजियांग में मानवाधिकारों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है, जहां उइगर रहते हैं। अधिकार समूह और पश्चिमी सरकारें चीन पर नजरबंदी शिविरों में जबरन श्रम सहित मुख्य रूप से मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ दुर्व्यवहार का आरोप लगाती आई है। चीन इन आरोपों से इनकार करता है।