विधेयक पर भी हस्ताक्षर
इस दौरान ट्रंप ने उस विधेयक पर भी हस्ताक्षर कर कानून बना दिया, जिसके बाद लेबनान के आतंकवादी समूह हिज्बुल्ला पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। बता दें कि इससे पहले ट्रंप ने इससे पहले भी दुनियाभर को चेतावनी देते हुए सभी देशों को ईरान से तेल का आयात कम करने की हिदायत दी थी। ट्रंप ने कहा था कि इस बात की अनदेखी करने वाले देशों को भी ईरान की ही तरह प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। अमरीका ने ये चेतावनी ईरान के साथ परमाणु समझौते से अलग होने के बाद दी थी। ध्यान देने वाली बात ये है कि भार ईरान के तेल का सबसे बड़े आयातक देशों में से एक है। इसके चलते भारत भी इन प्रतिबंधों के दायरे में आता है। हालांकि भारत के पास ये विकल्प है कि इन प्रतिबंधों से बचने के लिए अमरीका से छूट लेया ईरान से तेल आयात करना बंद कर दे।
‘आतंकवाद के सबसे बड़े प्रायोजक को रोकेंगे’
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो ये चेतावनी जारी करते हुए ट्रंप ने कहा , ‘हम दुनिया में आतंकवाद के सबसे बड़े प्रायोजक को सबसे खतरनाक हथियार बनाने नहीं दें सकते। यह कभी नहीं होगा।’ इसके चलते ही ट्रंप ने आतंकी संगठन हिज्बुल्ला पर और कड़े प्रतिबंध लगाने का वाले प्रावधान ‘हिज्बुल्ला इंटरनैशनल फाइनैंसिंग प्रिवेंशन एमेंडमेंट्स ऐक्ट’ पर अपनी मुहर लगाई है।
वाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स का बयान
इस पूरे मामले पर वाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने अपने जारी किए बयान में जानकारी दी, ‘हिज्बुल्ला ने अमरीकी नागरिकों का अपहरण किया, उन्हें न सिर्फ प्रताड़ित किया बल्कि कई हत्याएं की। ऐसी घटनाओं में 1983 में लेबनान के बेरुत में मरीन बैरकों पर हुआ क्रूर हमला भी शामिल है, इसमें करीब 241 अमरीकी मरीन, नाविक और सैनिक मारे गए थे। यही नहीं हमले में 128 अन्य सदस्य घायल भी हुए थे। हमले में एक लेबनानी नागरिक की भी मौत हुई थी।’सारा ने आगे कहा, ‘फ्रेंच बैरकों के खिलाफ की गई बमबारी में 58 फ्रेंच शांतिरक्षक और पांच लेबनानी नागरिक की मौत हुई।’ सैंडर्स का कहना है कि इस विधेयक से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था से हिज्बुल्ला को अलग-थलग करने और उसके वित्त पोषण में गिरावट लाने में मदद मिलेगी।