अमरीकी वैज्ञानिकों ने पहली बार मानव भ्रूणों की ऐसी पीढ़ी विकसित करने में सफलता हासिल की है, जिन पर अनुवांशिक बीमारियों का खतरा नहीं होगा।
वॉशिंगटन. अमरीकी वैज्ञानिकों ने पहली बार मानव भ्रूणों की ऐसी पीढ़ी विकसित करने में सफलता हासिल की है, जिन पर अनुवांशिक बीमारियों का खतरा नहीं होगा। साथ ही यह दूसरी अन्य सामान्य बीमारियों से भी सुरक्षित होगी। यानी यह उम्मीद बनी है कि भविष्य के इंसान बड़ी बीमारियों से जन्म के पहले ही निजात पा लेंगे। इस प्रयोग में जीन-संपादन उपकरण का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया। अमरीकी वैज्ञानिकों की इस बड़ी उपलब्धि के बाद माना जा रहा है कि इससे उस दोषपूर्ण डीएनए को ठीक किया जा सकेगा जो कि विरासत में मिली बीमारियों का कारण बनता है। अमरीका में ओरेगन हेल्थ एंड साइंस युनिवर्सिटी के शौखरत मितालिपोव के नेतृत्व में किया गया यह प्रयोग अपनी तरह का अनूठा है। अमरीका के साल्क इंस्टीट्यूट के जून वू ने कहा कि ‘जहां तक मुझे पता है कि यह अमरीका में पहला अध्ययन होगा जो इस परियोजना में शामिल था। हालांकि धार्मिक संगठन, नागरिक समूह, बायोटेक कंपनियां इस प्रयोग का विरोध कर सकते हैं।
बीमारियों से निजात
वैज्ञानिक दिखाना चाहते थे कि वे जीन को खत्म या ठीक कर सकते हैं। इससे थैलेसीमिया जैसे अनुवांशिक रोग पर जीत हासिल की जा सकती है। आनुवांशिक रूप से संशोधित बच्चे आने वाली पीढिय़ों में बदलाव लाएंगे।
चीन में नहीं अनुमति
इससे पहले चीनी वैज्ञानिक मानव भ्रूणों के जीन संपादन पर काम कर रहे थे, लेकिन नैतिक कारणों से कुछ दिनों बाद इस प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई।
फिल्में बनी हकीकत
हॉलीवुड फिल्मों वॉम्ब, मल्टीप्लीसिटी, ब्लेड रनर और ब्लू प्रिंट आदि में दिखाई गई भविष्य के इंसानों की परिकल्पना इस प्रयोग के तौर पर हकीकत में तब्दील होती दिख रही है। ऐसी परिकल्पनाएं पहले भी होती रही हैं।
आशंकाएं
-गलत हाथों में आने से इस तकनीक का इस्तेमाल मानव सभ्यता के खिलाफ संभव
-डिजाइनर बेबी की चाह बढ़ेगी
-तकनीकी बदलाव उम्र के साथ क्या असर डालेंगे, इस पर ठोस तथ्य नहीं
-जीन-संपादित भ्रूण आम इंसानों से अलग होंगे, इसलिए इंसानी नस्ल के दो धड़े के बनने का खतरा
-सामान्य जीवन की संभावनाएं हो सकती हैं खत्म