अधिकारियों ने फंसाने के लिए बनाया प्लान
वकीलों का कहना है कि कथित रूप से अमरीका में बने रहने के लिए एक फर्जी विश्वविद्यालय में दाखिला लेने वाले इन छात्रों में ज्यादातर भारतीय हैं। आव्रजन वकीलों ने कहा कि उन्हें इस नाजायज ऑपरेशन की जानकारी नहीं थी, और ये सिर्फ अधिकारियों की ओर से उन्हें फंसाने और परेशान करने के तरीका है।
‘पे टू स्टे’ स्कीम के तहत हुआ फ्रॉड
आपको बता दें कि एक गुप्त ऑपरेशन के तहत इस केस का भंडाफोड हुआ है। विश्वविद्यालय में ‘पे टू स्टे’ नाम की एक स्कीम थी, जिसके चलते विदेशी छात्रों ने जानबूझकर एक फेक यूनिवर्सिटी में अपना नामांकन कराया। इस तरह उऩ्हें अमरीका में रहने के लिए स्टूडेंट वीजा की मदद हुई। इस मामले में पुलिस ने पहले ही आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनके भारतीय होने या उनसे संबंधित होने की आशंका थी। इन सभी पर क्रिमिनल चार्ज लगाए गए हैं। इनकी पहचान भारत काकीरेड्डी, सुरेश कंडाला, पाणादीप कर्नाटी, प्रेम रामपीसा, अविनाश थक्कलापल्ली, अश्वंत नुणे, संतोष सामा और नवीन प्रतिपति के रूप में हुई है। इन सभी की उम्र 30 साल के आसपास है। हालांकि, 130 छात्रों पर सिर्फ सिविल चार्ज दर्ज हुए हैं।