अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने चिंता जाहिर की है कि केंद्र की भाजपा सरकार के तहत धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस करता है। हिंदू राष्ट्रवादी गुट गैर हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ हिंसा में शामिल रहते हैं। अमरीकी विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि धर्म को आधार बनाकर हत्याएं, हमले, दंगे और भेदभाव की खबरें आई हैं। गोरक्षकों की ओर से मुसलमानों की हत्या, उन पर हमले और उन्हें धमकाने की घटनाएं बढ़ी हैं।
इवांजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया (ईएफआइ) के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में 177 की तुलना में 2016 में ईसाइयों पर हमले की 300 घटनाएं हुई हैं। धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय का कहना है कि केंद्र सरकार हिंसा की घटनाओं के खिलाफ समय-समय पर बोलती रहती है लेकिन स्थानीय राजनेता ऐसा नहीं करते। इससे पीडि़त और अल्पसंख्यक समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है।
रिपोर्ट में तीन तलाक का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को चुनौती देने का केंद्र सरकार ने समर्थन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के महोबा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि धर्म के आधार पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा। मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सरकार की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान पर मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने इसे अपने धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप बताया है।