तुर्की तथा सीरिया की सीमा पर भी इसके सबूत मिले हैं। अमरीकी
अधिकारियों को विश्वास है कि इस्लामिक स्टेट का एक सेल रासायनिक गैस तैयार कर रहा
है। सयु गैस पाउडर के रूप में इस्तेमाल की जा रही है और उसे मोर्टार के गोलों में
रखकर उसका उपयोग किया जा रहा है।
अमरीकी अधिकारी ने बताया कि हमने चार अलग-अलग
अवसरों पर इराक तथा सीरिया की सीमा की दोनों तरफ रासायनिक गैस का इस्तेमाल हुआ
पाया। इनके इस्तेमाल के समय विस्फोट होता है और स्त्रायु गैस धूल की तरह उड़ती है
तथा लोगों को नुकसान पहुंचाती है।
इसका असर लोगों के पूरे शरीर खास करके आंखों पर
अधिक होता है और सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है। सल्फर युक्त स्त्रायु गैस
घातक नहीं होती है और उसका इलाज भी संभव है। सीरिया अपने रासायनिक हथियारों को पहले
ही खत्म कर चुका है।