पिछले 6 सालों में कभी नहीं हुआ भेदभाव
इस बारे में उन्होंने ट्विटर और फेसबुक पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा कि उन्हें और उनके दोस्तों को श्री शक्ति मंदिर के आयोजकों ने गरबा कार्यक्रम से बाहर निकाल दिया। आयोजकों ने इसका कारण बताया कि न आप हिंदू जैसे दिखते हैं और नाहीं आपके पहचान पत्र पर लिखा सरनेम हिंदू मालूम होता है।’ उन्होंने कहा इस जगह वे पिछले 6 सालों से गरबा करने जाते रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी भी उन्हें इस तरह के भेदभाव और परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा था। आपको बता दें कि 29 साल के करण जानी साल 2016 से अमरीका के लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जरवेटरी (लीगो) की टीम का हिस्सा बने थे। इस टीम का मुख्य काम गुरुत्वाकर्षण लहरों का अध्ययन करना है।
गुजराती में बात कर समझाया फिर भी नहीं माने
जानी ने ये भी बताया कि आयोजकों से मैंने गुजराती में बात की ताकि वो मुझे अंदर जाने की इजाजत दे दें, लेकिन उनपर कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस पूरे मामले का एक वीडियो साझा किया। जानी ने ट्वीटर पर लिखा कि उनके एक दोस्त को स्वयंसेवक ने कहा, ‘हम आपके कार्यक्रमों में नहीं आते हैं, इसलिए आप हमारे में नहीं आ सकते हैं।’ जानी के मुताबिक जब उनकी एक दोस्त ने स्वयंसेवक को बताया कि उसका नाम मुरदेश्वर है और वह एक कन्नड़-मराठी है, तो जवाब में स्वयंसेवक ने कहा, ‘कन्नड़ क्या होता है?’ तुम इस्माइली हो।