70 अरब रुपए का खर्च आया नासा के इस यान में एक बिलियन डॉलर यानी 70 अरब रुपए का खर्च आया है। सौर ऊर्जा और बैटरी से ऊर्जा पाने वाले लैंडर को 26 महीने तक संचालित होने के लिए डिजाइन किया गया है। हालांकि नासा को उम्मीद है कि यह इससे अधिक समय तक चलेगा। नासा ने कहा कि इनसाइट की जांच के तहत सतह पर 10 से 16 फुट गहरा सुराख किया जाएगा। यह इससे पहले के मंगल अभियानों की तुलना में 15 गुना अधिक गहरा होगा। दरअसल 2030 तक मंगल पर लोगों को भेजने के कोशिशों के लिए नासा को ‘लाल ग्रह’ के तापमान को समझना महत्वपूर्ण है। तभी वहां पर मनुष्य को भेजा जाएगा। गौरतलब है कि मंगल पर माना जा रहा है कि वहां इंसान के लिए उपयुक्त वातावरण मौजूद है। पहले अभियानों में वहां पर पानी के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।