धरती के लिए बड़ा खतरा
ज्वालामुखी की खुदाई से पैदा होने वाले खतरों के बारे में बताते हुए नासा के जेट प्रपलजन लैबरेटरी के ब्रायन विलकॉक्स ने बताया कि ज्वालामुखी में खुदाई करने के अपने बहुत से खतरे हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप मैगमा चैंबर के ऊपर खुदाई करते हैं और उसे वहां से ठंडा करने का प्रयास करते हैं तो यह काफी जोखिम भरा काम हो सकता है। इससे मैग्मा चैंबर के ऊपर का हिस्सा और नाजुक हो सकता है और यह टूट भी सकता है। अगर ऐसा होता है तो ऐसी जहरीली गैस बाहर निकल सकती हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होंगी। इसके साथ ही विलकॉक्स ने महा ज्वालामुखी (सुपरवॉल्केनो) के खतरे को क्षुद्रग्रह या धूमकेतु के खतरे से भी बड़ा बताया। उनका कहना है कि अगर यह ज्वालामुखी फटती है तो इससे धरती पर लंबे समय तक के लिए असर पड़ेगा। दुनियाभर में जिसके परिणाम भूखमरी व वातावरण में बड़ी मात्रा में सल्फर ऑक्साइड जैसे रूप में देखने को मिलेंगे।
27000 साल पहले हुआ था विस्फोट
दरअसल, अमरीकी जियलॉजिकल सर्वे की वेबसाइट के मुताबिक धरती पर औसतन 1 लाख साल बाद ज्वालामुखी में ऐसा भयानक विस्फोट होता है। सर्वे के मुताबिक सुपवॉल्केनो में ऐसा कोई विस्फोट 27000 साल पहले न्यूजीलैंड के नॉर्थ आइलैंड में हुआ था। वेबसाइट के रिकॉर्ड के मुताबिक येलोस्टोन एक अनुमान के मुताबिक हर 6 लाख साल में एक बार फटता है। आखिरी बार यह लगभग 6 लाख साल पहले ही फटा था। अब नासा ने येलोस्टोन के 10 किलोमीटर इलाके में खुदाई का प्लन बनाया था। बता दें कि अमरीकी वैज्ञानिकों ने 2014 में ही इस ज्वालामुखी की खोज की थी। वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार ये येलोस्टोन नैशनल पार्क के नीचे सुपर ज्वालामुखी पहले के अनुमान की तुलना में काफी बड़ा है। स्टडी में पाया गया कि मैग्मा चैंबर पिछले अनुमानों की तुलना में 2.5 गुना बड़ा निकला है और गली हुई धातु से बनी चट्टानें 200-600 क्यूबिक किलोमीटर तक फैली हैं। इतना ही नहीं, इसमें कैवर्न (गुफा) 90 किलोमीटर तक फैल चुकी है।