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दुनिया को महाविनाश से बचाने के लिए आगे आया नासा, बनाया अचूक प्लान

Published: Aug 20, 2017 11:47:00 am

Submitted by:

Mohit sharma

नासा का यह प्लान अमरीका के येलोस्टोन पार्क स्थित एक ज्वालामुखी को ध्यान में रख कर बनाया गया है।

NASA

 नई दिल्ली। अब दुनिया को ज्वालामुखी जैसे खतरे से बचाने के लिए अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक नया प्लान तैयार किया है। नासा का यह प्लान अमरीका के येलोस्टोन पार्क स्थित एक ज्वालामुखी को ध्यान में रख कर बनाया गया है। बता दें कि यह ज्वालामुखी पूरी दुनिया को तबाह करने की क्षमता रखती है। अब वैज्ञानिक ऐसी रणनीति पर काम कर रहे हैं ताकि इस सुपरवॉल्केनो को फटने से रोका जा सके। नासा के शोधकर्ताओं ने इसका तोड़ ज्वालामुखी के बेस की खुदाई से खोजा है। उनका मानना है कि खुदाई के बाद हाई प्रेशर वाले वॉटर जेट्स की मदद से ज्वालामुखी को ठंडा करने के लिए पानी डाला जा सकता है और उसे फटने से रोका जा सकता है। हालांकि वैज्ञानिक ज्वालामुखी की खुदाई के खतरों से इनकार नहीं कर रहे हैं।

धरती के लिए बड़ा खतरा

ज्वालामुखी की खुदाई से पैदा होने वाले खतरों के बारे में बताते हुए नासा के जेट प्रपलजन लैबरेटरी के ब्रायन विलकॉक्स ने बताया कि ज्वालामुखी में खुदाई करने के अपने बहुत से खतरे हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप मैगमा चैंबर के ऊपर खुदाई करते हैं और उसे वहां से ठंडा करने का प्रयास करते हैं तो यह काफी जोखिम भरा काम हो सकता है। इससे मैग्मा चैंबर के ऊपर का हिस्सा और नाजुक हो सकता है और यह टूट भी सकता है। अगर ऐसा होता है तो ऐसी जहरीली गैस बाहर निकल सकती हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होंगी। इसके साथ ही विलकॉक्स ने महा ज्वालामुखी (सुपरवॉल्केनो) के खतरे को क्षुद्रग्रह या धूमकेतु के खतरे से भी बड़ा बताया। उनका कहना है कि अगर यह ज्वालामुखी फटती है तो इससे धरती पर लंबे समय तक के लिए असर पड़ेगा। दुनियाभर में जिसके परिणाम भूखमरी व वातावरण में बड़ी मात्रा में सल्फर ऑक्साइड जैसे रूप में देखने को मिलेंगे।

27000 साल पहले हुआ था विस्फोट

दरअसल, अमरीकी जियलॉजिकल सर्वे की वेबसाइट के मुताबिक धरती पर औसतन 1 लाख साल बाद ज्वालामुखी में ऐसा भयानक विस्फोट होता है। सर्वे के मुताबिक सुपवॉल्केनो में ऐसा कोई विस्फोट 27000 साल पहले न्यूजीलैंड के नॉर्थ आइलैंड में हुआ था। वेबसाइट के रिकॉर्ड के मुताबिक येलोस्टोन एक अनुमान के मुताबिक हर 6 लाख साल में एक बार फटता है। आखिरी बार यह लगभग 6 लाख साल पहले ही फटा था। अब नासा ने येलोस्टोन के 10 किलोमीटर इलाके में खुदाई का प्लन बनाया था। बता दें कि अमरीकी वैज्ञानिकों ने 2014 में ही इस ज्वालामुखी की खोज की थी। वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार ये येलोस्टोन नैशनल पार्क के नीचे सुपर ज्वालामुखी पहले के अनुमान की तुलना में काफी बड़ा है। स्टडी में पाया गया कि मैग्मा चैंबर पिछले अनुमानों की तुलना में 2.5 गुना बड़ा निकला है और गली हुई धातु से बनी चट्टानें 200-600 क्यूबिक किलोमीटर तक फैली हैं। इतना ही नहीं, इसमें कैवर्न (गुफा) 90 किलोमीटर तक फैल चुकी है।

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