भारतीय अधिकारी नहीं थे तैयार
रोड्स ने लिखा है कि भारतीय अधिकारी किसी भी सूरत में संधि पर हस्ताक्षर के लिए तैयार थे। तब अमरीकन राष्ट्रपति ओबामा खुद दो भारतीय अधिकारियों से मिले और उन्हें यह समझाने की कोशिश की कि इस संधि में भारत का शामिल बेहद जरूरी है। लेकिन वह नाकाम रहे। तब वह इस मसले पर समझाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री से मिले। इस मसले पर दोनों के बीच तकरीबन एक घंटे बातचीत हुई। लेकिन मोदी इस बात पर अड़े रहे कि उन्हें पर्यावरण की चिंता होने के बावजूद गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर कर रहे अपने नागरिकों के बारे में सोचना होगा। भारत में लगभग 30 करोड़ लोगों के पास बिजली नहीं है। देश की उभरती अर्थव्यवस्था के लिए कोयला बेहद जरूरी है। इसलिए इस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती है।
ओबामा ने खेला इमोशनल कार्ड
ओबामा का कहना था कि सौर ऊर्जा के जरिये सस्ते में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। लेकिन मोदी इसके लिए तैयार नहीं हुए। उनका तर्क था कि खुद अमरीका का विकास कोयले के जरिये ऊर्जा का उत्पादन कर किया है और आप हमें इसके लिए मना कर रहे हैं। इसके बाद ओबामा ने इमोशनल कार्ड खेलकर मोदी से कहा कि उन्हें लगता है कि यह सही नहीं होगा। वह खुद अफ्रीकन-अमरीकन है।
इस पर पिघल गए मोदी
रोड्स लिखते हैं कि इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी पिघल गए। वह मुस्कराए और अपने हाथों की तरफ देखने लगे। उनके चेहरे पर दर्द को भी महसूस किया जा सकता था। इसके बाद ओबामा ने कहा कि किसी व्यवस्था में क्या सही है और क्या गलत, यह मुझे पता है। पर हमारी जो योजना है उसे न तो मैं बदल सकता हूं और न ही आप। रोड्स बताते हैं कि ओबामा को उन्होंने किसी नेता के साथ इतने शांत स्वर में बात करते नहीं देखा। मोदी पर इसका प्रभाव पड़ा और उन्होंने अपनी सहमति दे दी।