अटॉर्नी जनरल के कार्यालय की ओर से जारी बयान में शोषण के आरोपों से निपटने में चर्च की असमर्थता की कड़ी आलोचना की गई है। बयान के अनुसार- आरोपों की जांच अधूरी रही और कई मामलों में कानून का पालन नहीं किया गया। यहां तक कि बाल कल्याण संस्थाओं को सूचना भी नहीं दी गई।
मैडिगन के मुताबिक इस जांच के शुरूआती चरणों से ही साफ हो गया है कि कैथोलिक चर्च अपनी निगरानी नहीं कर सकता है। बता दें, विश्व में कैथोलिक चर्चों में यौन शोषण से जुड़ी घटनाओं के आरोपों के बीच अमरीका से एक चौंकाने वाली खबर अगस्त माह में आई थी। तब ग्रैंड ज्यूरी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि 300 से अधिक पादरियों ने 1,000 से अधिक बच्चों का यौन शोषण किया। इसमें यहां तक कहा गया था कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय घटनाओं पर पर्दा डालने का प्रयास किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार- पेन्सिलवेनिया के करीब 300 रोमन कैथोलिक पादरियों पर 1,000 से भी अधिक बच्चों के यौन शोषण का आरोप लगाया गया। 1940 के दशक से लेकर अगले 70 वर्षों में पादरियों ने ऐसी नापाक हरकतें की। किंतु उनके विरुद्ध कार्रवाई न करके चर्च ने इन पर पर्दा डालने की कोशिश की। रिपोर्ट में आशंका जताई गई कि यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। इसका कारण यह है कि कुछ चर्चों के गोपनीय रिकॉर्ड गायब हैं। कुछ पीड़ित ऐसे भी हैं, जो अब तक सामने नहीं आए हैं।