न्यूयॉर्क. अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चुनाव में लेबर क्लास को अमीरी-गरीबी की खाई मिटाने का वादा किया था। अब वो इससे उलट अमरीकी इतिहास की सबसे अमीर कैबिनेट बनाने में लगे हैं। जिन नामों पर ट्रंप विचार कर रहे हैं अगर उन पर मुहर लग जाए तो यह अमरीकी इतिहास की सबसे अमीर कैबिनेट होगी। ट्रंप कैबिनेट में एक से बढ़कर एक अरबतियों और करोड़पतियों को शामिल करने में जुटे हुए हैं। हाल में उन्होंने वाणिज्य मंत्री के तौर पर जाने-माने कारोबार निवेशक विलबर रॉस को चुना। फोब्र्स के मुताबिक रॉस के पास 2.5 अरब डॉलर (170 अरब रुपये) की संपत्ति है। बता दें कि जार्ज डब्ल्यू बुश की कैबिनेट के पास विलबर की कुल संपत्ति का मात्र दसवां हिस्सा था। बुश के मत्रिमंडल के मंत्रियों की कुल संपत्ति लगभग 17 अरब 10 करोड़ रुपये थी। बहरहाल, शिक्षा मंत्री के तौर पर ट्रंप ने बेट्सी डेवोस को अपनी पसंद बताया है। डेवोस एक अरबपति हैं। फोब्र्स पत्रिका ने उनकी संपत्ति 5.1 अरब डॉलर आंकी थी। वह अमेरिका की 88वीं सबसे अमीर महिला हैं। वह ट्रंप से भी ज्यादा अमीर हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं। ओबामा कैबिनेट में एक अरबपति मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा की कैबिनेट में वाणिज्य मंत्री पेनी प्रित्जकर ही अरबपति बिजनसवुमेन हैं। अन्य मंत्री ज्यादा अमीर नहीं हैं। उनकी कैबिनेट में कारोबारी कम राजनेता ज्यादा हैं। वहीं ट्रंप कारोबारियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। स्थानीय मीडिया के मुताबिक ट्रंप की कैबिनेट में वॉल स्ट्रीय फाइनेंसर, बड़े उद्योगपति सहित अरबपतियों की संतान तक शामिल हो सकते हैं। अमरीकी लेखक रॉबर्ट स्पिटजर का कहना है कि ट्रंप की कैबिनेट इतिहास की सबसे अमीर कैबिनट होगी। खुद बनेंगे सबसे अमीर राष्ट्रपति ऐसा नहीं है कि ट्रंप के कैबिनेट में शामिल होने वाले मंत्री ही अरबपति होंगे। बल्कि खुद डोनाल्ड ट्रंप ओवल ऑफिस संभालने वाले सबसे अमीर राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। फोब्र्स पत्रिका के मुताबिक ट्रंप की कुल संपत्ति 4.5 अरब डॉलर (307.2 अरब रुपये) है। इससे पहले सबसे अमीर कैबिनेट जॉर्ज डब्ल्यू बुश की थी। उन्होंने अपनी कैबिनेट का गठन साल 2001 में किया था। यही नहीं, उस वक्त बुश की मंत्रियों की यह टीम अन्य देशों की कैबिनेट टीम में भी अधिक अमीर थी। जेम्स मैटिस रक्षा मंंत्री के लिए नामित डोनल्ड ट्रंप ने जनरल जेम्स मैटिस को नया रक्षा मंत्री नामित किया है। मैड डॉग के नाम से मशहूर जनरल मैटिस मध्य पूर्व राष्ट्रों के प्रति ओबामा प्रशासन की नीति, विशेषकर ईरान नीति की खुलेआम आलोचना करते रहे हैं। मैटिस ईरान के खिलाफ रहे हैं। वह अपनी रणनीतिक सूझ-बूझ के लिए जाने जाते हैं। सेवानिवृत मैटिस वर्ष 1991 में हुए पहले खाड़ी युद्ध में एक बटालियन का नेतृत्व कर चुके हैं। वह वर्ष 2001 में दक्षिण अफगानिस्तान में एक टास्क फोर्स की कमांड भी संभाल चुके हैं। साल 2013 में अमरीकी सेंट्रल कमांड के कमांडर के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। अमरीकी कानून के अनुसार सेवानिवृत्त होने के 7 साल बाद ही किसी पूर्व सैन्य अधिकारी को रक्षा मंत्री नियुक्त किया जा सकता है।