गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में पारित किए जाने वाले प्रस्ताव में यह पुष्टि होगी कि ट्रम्प द्वारा किया गया यरूशलम की स्थिति में कोई भी परिवर्तन कानूनी रूप से प्रभावी नहीं होगा। साथ ही यरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने की अमरीका की घोषणा को भी रद्द किया जाएगा।
मिस्त्र की ओर से ये ड्राफ्ट शनिवार को तैयार किया था और अब सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वोट दे सकती है। मौजूदा ड्राफ्ट में कहा गया है कि यरूशलम मुद्दे का हल वार्ता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि अमरीका इस प्रस्ताव पर अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल भी कर सकता है। अमरीका के उपराष्ट्रपति माइक पेन्स बुधवार को यरूशलम जाने वाले हैं।
ट्रंप के इस फैसले का अभी तक हो रहा था कड़ा विरोध आपको बता दें की अभी तक इस फैसले पर ट्रंप का कड़ा विरोध हो रहा था। मुस्लिम जगत, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय यूनियन ही नहीं अमरीका के हर फैसले में साथ रहने वाले ब्रिटेन और सऊदी अरब ने भी इस बार इस फैसले पर नाराजगी जताई है। ब्रिटेन ने इस बारे में कहा है कि ट्रंप के फैसले से शांति प्रयासों में सहायता नहीं मिलेगी तो वहीं सऊदी अरब ने निंदा करते हुए इसे अन्यायिक और गैर जिम्मेदाराना कहा है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी फैसले की निंदा की थी संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी इस फैसले का विरोध किया था। जिससे इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति की संभावना खतरे में पड़े। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, यह फैसला केवल दोनों तरफ के लोगों द्वारा शांति, सुरक्षा, आपसी पहचान के साथ येरुशलम को इजरायल और फिलिस्तीन की राजधानी बनाने के दृष्टिकोण के साथ ही संभव है और साथ ही स्थायी तौर पर सभी अंतिम समाधान बातचीत से ही लागू किया जाना चाहिए।