अमरीका

थाली में परोसा जा सकेगा लैब में बना मीट, अमरीकी वैज्ञानिकों ने दी हरी झंडी

पशु मांस की कोशिकाओं से प्राकृतिक रूप से विकसित किए गए मीट उत्पादों को बनाने और उनका सेवन करने पर सहमति बन गई है

नई दिल्लीNov 18, 2018 / 10:00 am

Siddharth Priyadarshi

थाली में परोसा जा सकेगा लैब में बना मीट, अमरीकी वैज्ञानिकों ने दी हरी झंडी

न्यूयार्क। अमरीका में लैब में मीट बनाने का रास्ता अब साफ हो गया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्दी ही यहाँ के रेस्टोरेंट्स में लैब में तैयार मीट से बने व्यंजन परोसे जाएंगे। अमरीका में पशु मांस की कोशिकाओं से प्राकृतिक रूप से विकसित किए गए मीट उत्पादों को बनाने और उनका सेवन करने पर सहमति बन गई है। ग्लोबल वॉर्मिंग और पशु हत्या पर रोक लगाने के मकसद से बनाए गए इस प्रोजेक्ट को अब हरी झंडी दे दे गई है। बता दें कि लैब में पहले बार मीट तैयार नहीं हुआ है। कुछ दिन पहले नीदरलैंड्स में वैज्ञानिकों ने लैब में पोर्क मीट तैयार किया था।

थाली में लैब मीट

शायद पढ़कर आपको यकीन न आए, लेकिन जल्दी ही आपके खाने की थाली में ‘लैब मीट’ परोसा जाएगा। अमरीकी वैज्ञानिकों ने पशु कोशिकाओं से प्राकृतिक तरीके से विकसित किए गए मीट प्रॉडक्ट्स को कमर्शियल रूप से तैयार करने और परोसे जाने की अनुमति दे दी है । इस बारे में कुछ नियमों और सावधानियों को नियमित करने के तौर-तरीके पर शुक्रवार को सहमति व्यक्त बन गई। अब जल्दी ही अमरीकी रेस्टोरेंट्स लैब मीट परोस सकेंगे। अमरीकी कृषि विभाग और खाद्य तथा दवा विभाग (एफडीए) ने एक संयुक्त बयान जारी कर के कहा कि ‘दोनों संगठन एनिमल कोशिका-संवर्धित मांस उत्पादों का संयुक्त रूप से नियमन करने के लिए सहमत हुए हैं।’ आपको बता दें कि अमरीका में इस बात की कोशिश कई दिनों से चल रही थी। इस संबंध में अक्टूबर में सार्वजनिक प्रयास शुरू हुए थे। यूएसडीए खाद्य उत्पादों के उत्पादन और उनके नियमन की निगरानी करेगा।

कैसे बनता है लैब मीट

बताया जा रहा है कि लैब में पहले एक पशु से कोशिका ली जाती है। उसके बाद उसे अन्य जीव के मीट के टुकड़े के साथ रखा जाता है। धीरे-धीरे मांस के टुकड़े से बड़े पैमाने पर कोशिकाओं का विकास हो जाता है और वह कृतिम मीट के एक टुकड़े में तब्दील हो जाता है। लैब मीट तैयार करने के पीछे वजह यह बताई जा रही है कि इससे जीव हत्या और ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने में मदद मिलेगी। अमरीका से पहले नीदरलैंड में वैज्ञानिकों ने शूकर का मांस तैयार किया था। इसके लिए उन्होंने एक जिंदा शूकर से कोशिकाएं लेकर उनका एक डिश के रूप में विकास किया। इसके बाद उसे दूसरे जानवरों के मांस के साथ रखा गया। इससे कोशिकाओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी गई।

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