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उत्तर कोरिया-चीनी सीमा पर ‘लाल इमारत’ का राज बना अमरीका की परेशानी

उत्तर कोरिया के तानाशाह ने बेशक परमाणु परीक्षण बंद करने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन उसकी बात पर यकीन करने के लिए अमरीका समेत पूरे विश्व के लिए आसान नहीं

नई दिल्लीApr 23, 2018 / 11:54 am

Shweta Singh

Lal imarat secret

वाशिंगटन। उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह ने बेशक परमाणु साइट और परमाणु परीक्षण बंद करने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन उसकी बात पर यकीन करने के लिए अमरीका समेत पूरे विश्व के लिए आसान नहीं है। अब कुछ सैटेलाइट तस्वीरें अमरीका के इसी शक को और हवा दे रहीं हैं। अमरीका और उसकी विशेषज्ञों की टीम के हाथ चीन से लगती उत्तर कोरिया की सीमा की कुछ तस्वीरे लगी हैं। जोकि उस वक्‍त की हैं जब वहां के खुफिया एजेंसी (CIA) के डायरेक्‍टर माइक पोंपियो उत्तर कोरिया गए थे।

इन तस्वीरों में एक संदिग्ध कंस्‍ट्रक्‍शन साइट
इन तस्वीरों में उत्तर कोरिया और चीन की सीमाओं के बीच बहने वाली नदी के किनारे एक कंस्‍ट्रक्‍शन साइट दिखाई दे रहा है, जिसे लेकर अमरीका और उसके विशेषज्ञों के दिमाग में सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि इस नदी पर दोनों देशों के बीच एक पुल भी चोंग्‍सू इलाके में बना हुआ है। सैटेलाइट इमेज को हवाला देते हुए अमरीका का कहना है कि उत्तर कोरिया के अधिकारी सीमा के आरपार मूवमेंट कर रहे हैं।

इसलिए यह चिंता की बात
विशेषज्ञों ने कहा कि तस्वीर में उत्तर कोरिया के चोंग्‍सू में एक लाल छत वाली इमारत दिखाई दे रही है। जानकारी के मुताबिक यह एक फैक्टरी है जहां गैरकानूनी तरीके से ग्रेफाइट बनाया जाता है। लेकिन यह चिंता की बात इसलिए है क्‍योंकि न्‍यूक्लियर रिएक्‍टर बनाने के लिए ग्रेफाइट बेहद जरूरी होता है। इससे जुड़े एक ताजा रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि उत्तर कोरिया इस न्‍यूक्लियर ग्रेड वाले ग्रेफाइट को दूसरे देशों को बेचने में भी संलिप्त है।

अमरीका ने इस ऐलान को विश्व शांति के हित वाला बताया था
बता दें कि यह इमारत अमरीका के शक के दायरे में जरूर है लेकिन सीआईए की ओर से इसे लेकर किसी भी तरह की पुष्टि नहीं दी गई है। इस इमारत के संदिग्ध होने की बात तब प्रकाश में आई जब किम जोंग ने अपनी न्‍यूक्लियर साइट्स को बंद करने और आगे कोई परमाणु परीक्षण न करने की घोषणा की। हालांकि इस ऐलान का सभी ने स्वागत किया था, लेकिन अमरीका, जापान समेत पूरे विश्व में किसी को भी इसपर यकीन नहीं हुआ था। गौरतलब है कि अमरीका ने इस ऐलान को विश्व शांति के हित वाला बताया था, लेकिन उनके जानकारों ने ये हिदायत दी कि संभलकर आगे बढ़ने कि जरूरत है।

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