बीजिंग। तुर्की में समुद्र किनारे निर्जीव पड़े तीन साल के बच्चे एलन कुर्दी की रोआं खड़ी कर देने वाली तस्वीर ने जहां पूरी दुनिया को हैरानी में डाल दिया है, वहीं उन्हें यह भी जानने की जरूरत है कि इस समस्या के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार अमरीका है। शरणार्थियों में सर्वाधिक संख्या सीरिया, लीबिया, इराक और अफगानिस्तान के लोगों की है, जहां अमेरिकी हस्तक्षेप के कारण व्यापक विनाश, असुरक्षा और पलायन हुआ है।
इन देशों के लोग बुनियादी मानव अधिकारों से वंचित हो गए हैं। उनके पास जिंदा रहने के लिए पड़ोसी देशों और यूरोप की ओर भागने के अलावा और कोई चारा नहीं है। शरणार्थी मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त एंटोनियो गुटरेस के मुताबिक इस साल तीन लाख से अधिक शरणार्थियों ने भूमध्य सागर पार कर यूरोप पहुंचने की कोशिश की है, जिनमें से 2,600 से अधिक ने अपनी जान गंवा दी।
इस समस्या के लिए मुख्य जिम्मेदार अमरीका और उनके सहयोगी देश हैं हालांकि इस मामले में अपनी जिम्मेदारियों से बेफिक्र और अपनी कारगुजारियों से पैदा हुई बदतर स्थिति को ठीक करने और समस्या का निदान करने की जवाबदेही से लापरवाह प्रतीत हो रहे हैं। मध्य पूर्व में इराक और लीबिया के बाद अमरीका के शिकार देशों की कड़ी में सीरिया ताजा नाम है। अमरीका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप के बाद गत चार साल से सीरिया गृह युद्ध से प्रभावित है और वहां से सर्वाधिक संख्या में लोग दूसरे मुल्क की ओर भाग रहे हैं।
आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) सीरिया के आम नागरिकों पर लगातार आत्मघाती हमले कर रहा है और उनका अपहरण कर रहा है। सीरिया के लोगों के लिए अपने ही देश में खतरा पैदा हो गया है। दूसरी ओर अमरीका ने हालांकि इराक और अफगानिस्तान से अपनी सेना तो वापस खींच ली है, लेकिन इन देशों को अस्थिर करने और उसे बदतर स्थिति में छोड़ कर निकलने के लिए वह निश्चित रूप से जिम्मेदार है।
अमरीका खुद को दुनिया का अगुआ बताता फिरता है, लेकिन अपनी स्वार्थपूर्ण विदेश नीतियों के लिए इन देशों में अस्थिरता, अराजकता और चरमपंथ फैलाना उनके लिए शर्म की बात होनी चाहिए। अब जब यूरोप शरणार्थी समस्या से निपटने के लिए जद्दोजहद कर रहा है, अमेरिका को तत्काल इस समस्या के निदान में मदद करने के लिए आगे आना चाहिए और संकटग्रस्त देशों में जल्द-से-जल्द शांति, स्थिरता और अमन-चैन लाने के लिए दूरगामी पहल करना चाहिए।
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