नई दिल्ली। संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दक्षिण एशिया की नीति निर्धारण के लिए अगले सप्ताह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम की बैठक बुला सकता है। सूत्रों के अनुसार ट्रंप और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम अगले सप्ताह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के साथ अपने संबंधों और रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि यह बैठक अमरीकी कांग्रेस द्वारा पारित राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण 2017 के उस प्रावधान को लेकर है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर अमरीका द्वारा पाकिस्तान के लिए फंड पर रोक लगाना है।
पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ईमानदार नहीं
इसका मतलब है कि पाकिस्तान को धन जारी करने से पहले, अमेरिकी रक्षा मंत्री को यह प्रमाणित करना होगा कि अफगानिस्तान में आतंकवादी कार्रवाई के रूप में पाकिस्तान अमरीका द्वारा निर्दिष्ट किसी भी तरह की सैन्य व वित्तीय सहायता प्रदान नहीं कर रहा है। हालांकि पाकिस्तान को जारी सैन्य प्रतिपूर्ति फंड केवल आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क पर ही लागू होती हैं, लेकिन कांग्रेस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई को लेकर ईमानदार भी है या नहीं।
पाकिस्तान के प्रति नरमी का रुख छोड़कर सख्ती
एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रम्प प्रशासन के एक अधिकारी ने सुझाव दिया था कि अमेरिका को पाकिस्तान के प्रति नरमी का रुख छोड़कर सख्ती अपनानी चाहिए, जिसमें पाकिस्तान को अमरीका सहायता काटने और भारत के साथ सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना शामिल है। अमरीकी कांग्रेस रक्षा एवं सुरक्षा विभाग से पहले ही भारत से रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए विशिष्ट कार्रवाई करने को कह चका है। रिपब्लिकन कांग्रेसी टेड पो, जिन्होंने कांग्रेस में पाकिस्तान के संशोधनों का प्रस्ताव रखा, पाकिस्तान की संदिग्ध आतंकवाद विरोधी नीति के खिलाफ मुखर हैं। 2017 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम के पारित होने के बाद पो ने ट्वीट कर कहा था कि आज कांग्रेस ने आतंकवाद की लड़ाई में पाकिस्तान की विश्वासघात को खत्म करने के लिए अहम कदम उठाया है। बता दें कि पो विदेश मामलों की समिति के सदस्य हैं और आतंकवाद, अप्रसार और व्यापार उपसमिति के अध्यक्ष हैं।
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