एफडीए के सेंटर फॉर बायोलॉजिक्स इवैल्यूएशन एंड रिसर्च के निदेशक पीटर मार्क्स ने कहा, हीमोफिलिया के लिए जीन थेरेपी दो दशकों से अधिक समय से प्रचलित है। एफडीए की हेमजेनिक्स को मंजूरी, ‘हीमोफिलिया ‘बी’ रोग के लिए नवीन उपचारों के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति लाएगी। हीमोफिलिया बी के मरीज हीमोफिलिया के 15% रोगियों का प्रतिनिधित्व करते है, यह रोग ज्यादातर पुरुषों में होता है और लगभग 40,000 आबादी में से एक में प्रचलित है। जिन महिलाओं में यह बीमारी होती है उनमें अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं।
नए जीन उपचार पहले से ही महंगे हैं और हेमजेनिक्स की लागत इस बारे में सवाल उठाती है कि क्या इसे व्यापक रूप से अपनाया जाएगा। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal Muscular Atrophy) के लिए नोवार्टिस (Novartis) की जोलगेन्स्मा (Zolgensma) जीन थेरेपी की कीमत 2 मिलियन यूएस डॉलर यानी करीब 16.33 करोड़ रुपए खुराक है और यह भी सिंगल डोज वाली दवा है। कुछ मामलों में महंगी जीन थैरेपी फ्लॉप भी हुई है। Biogen की अल्जाइमर दवा Aduhelm अमेरिका में मंजूरी मिलने के बाद महंगी होने के कारण बाजार में फ्लॉप हो गई थी।
ये एक आनुवांशिक (Genetic Disorder)और दुर्लभ बीमारी (Rare Disease)है जिसमें खून का थक्का (Blood Clots) बनना बंद हो जाता है। हीमोफीलया ‘ए’ का 10 हजार में से एक मरीज पाया जाता है और ‘बी’ के 40 हजार में से एक। जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है उनमें थक्के बनाने वाले घटक बहुत कम होते हैं। ऐसे में उनका खून ज्यादा समय तक बहता रहता है। हीमोफीलिया ‘ए’ में फैक्टर 8 की कमी होती है और हीमोफीलिया ‘बी’ में फैक्टर 9 की कमी होती है। हीमोफीलिया के इलाज में खून से गायब क्लॉटिंग प्रोटीन (Clotting Proteins) को वापस खून में डाला जाता है। जिसे इसके संक्रमण को रोका जाता है। दवाई के जरिए खून में इस तरह के प्रोटीन को डाला जाता है ताकि खून में थक्के बने और इसे बहने से रोका जा सके।