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बिना डॉक्टर, रामभरोसे ही चल रहा अमेठी का यह सरकारी अस्पताल, सुविधा सिर्फ नाममात्र की

locationअमेठीPublished: Jun 11, 2018 12:58:24 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

बिना डॉक्टर, रामभरोसे ही चल रहा अमेठी का यह सरकारी अस्पताल, सुविधा सिर्फ नाममात्र की

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बिना डॉक्टर, रामभरोसे ही चल रहा अमेठी का यह सरकारी अस्पताल, सुविधा सिर्फ नाममात्र की

अमेठी. आगामी 21 जून को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जायेगा। इसके लिए सभी सरकारी कार्यालयों व विभागों में अभी से ही जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं। योग के साथ साथ ही आयुर्वेद का भी सम्बन्ध माना जाता है। इसी कड़ी में आज हमारी टीम ने जिले के दो सरकारी आयुर्वेदिक अस्पताल के व्यवस्थाओं के बारे में जानने की कोशिश की तो सामने आया कि आयुर्वेदिक अस्पताल की सारी सुविधायें सिर्फ नाम मात्र की हैं।
बिना डॉक्टर, सिर्फ फार्मासिस्ट व वार्ड ब्वॉय के सहारे चल रही अस्पताल

आलम यह है कि जब हम राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय बड़गांव पहुंचे तो वहां हमें पता चला कि सितम्बर 2017 से वहां किसी चिकित्सक की तैनाती ही नहीं हुई है। सिर्फ एक फॉर्मासिस्ट व एक वार्ड ब्वॉय के सहारे पूरी अस्पताल चल रही है। इलाके के लोगों का कहना है कि पहले जब डॉक्टर रहते थे तब तो लोग दिखाने जाते लेकिन अब तो कोई अस्पताल में जाता भी नहीं है।
नहीं चलती है ओपीडी

फार्मासिस्ट उदयराज मौर्या ने बताया कि अस्पताल के स्टोर में दवायें पर्याप्त हैं। लेकिन डॉक्टर न होने से सब बहुत कम ही लोग यहॉं दिखाने आते हैं। उन्होंने बताया कि पहले हम ही लोगों को देख लिया करते थे लेकिन उपर से आदेश आया कि फार्मासिस्ट मरीजों को नहीं देखेंगे तब से हमने भी मरीजों को देखना बन्द कर दिया।
बता दें कि लगभग दस हजार की आबादी में बने इस आयुर्वेदिक अस्पताल को सम्भालने वाले सिर्फ दो कर्मचारी हैं। इसका पता शीर्ष अधिकारियों को है लेकिन एक वर्ष पूरा होने वाला है अभी तक किसी डॉक्टर की तैनाती नहीं हुई है। जिससे ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
पानी पीने को तरस जाते हैं कर्मचारी

फार्मासिस्ट उदयराज मौर्या ने बताया कि अस्पताल में कई वर्षों से पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। एक नल है वह भी कई सालों से बन्द पड़ा है।
25 बेड के अस्पताल में सिर्फ एक बेड

इससे भी बदतर हाल राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय अमेठी का देखने को मिला। यहां आठ लोगों के स्टॉफ में दो तीन लोग उपस्थित मिले और यहां नाम के लिए तो 25 बेड का अस्पताल है लेकिन मौके पर सिर्फ और सिर्फ एक ही बेड़ देखने को मिला। पीने के पानी व्यवस्था नहीं है। अस्पताल की जमीन पर स्थानीय लोगों ने कब्जा किया हुआ है। दवायें तो हैं लेकिन मरीज बहुत ही कम दिखाने आते हैं।
वहां कार्यरत स्टॉफ नर्स सविता तिवारी ने बताया कि यहां महिला के लिए टॉयलेट की भी व्यवस्था नहीं है। आयुर्वेदिक अस्पतालों की स्थिति को देखकर यह कहा जा सकता है कि सबकुछ रामभरोसे ही चल रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार सिर्फ योग दिवस मनाने में व्यस्त रहेगी या फिर योग के साथ साथ आयुर्वेद पर भी ध्यान देकर इलाके के लोगों को स्थायी चिकित्सा सुविधा प्रदान करेगी।

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