यह है पूरा मामला 6 मई को मतदान होने के बाद ईवीएम मशीनों को अलग-अलग स्कूल और कालेज कैम्पस में सुरक्षित रखा गया। जहां इवीएम मशीनें रखी गई थीं, वहां सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात थी। साथ ही दूसरे राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता कड़ी नजर बनाए हुए थे। लेकिन मानिषी महिला महाविद्यालय में बनाए गए स्ट्रांग रूम से सैकड़ों मशीनों को एक-एक कर ट्रक में लादा जा रहा था। जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इसकी भनक लगी तो उन्होंने वहां मौजूद कानूनगो और लेखपाल से मशीनों को ट्रक में लादे जाने का कारण पूछा लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका।
प्रशासन पर ईवीएम की हेराफेरी का आरोप मौके पर पहुंचे कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा ने इस बात पर आपत्ति जताई। उन्होंने मशीनों को ट्रक पर लादने से मना किया। उन्होंने इसकी सूचना पार्टी नेताओं व अन्य अधिकारियों को दी। इस बीच सूचना पर पहुंचे सीडीओ प्रभुनाथ, उप जिला निर्वाचन अधिकारी वंदिता श्रीवास्तव ने जिलाध्यक्ष को रिजर्व में बची मशीनों के बारे में बताया कि इन मशीनों को कलेक्ट्रेट स्थित वेयर हाउस ले जाया जाना है। यहां इनका बार कोड स्कैन कर सुल्तानपुर भेजा जाना है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष का कहना है कि मतदान से पहले जिला प्रशासन की ओर से जिले में आई सभी ईवीएम की जानकारी दी गई थी। उसमें डेमो के लिए क्षेत्र में भेजी जाने वाली, प्रशिक्षण के निकाली गई, मतदान में प्रयोग होने वाली, मतदान के समय रिजर्व रखी गई सभी मशीनों की जानकारी शामिल थी। जिलाध्यक्ष ने प्रशासन पर ईवीएम में हेराफेरी का आरोप लगाया। हालांकि बाद मे प्रशासन की दलील पर वो संतुष्ट हुए।
उप जिला निर्वाचन अधिकारी वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि आयोग के निर्देश पर उन्नाव जनपद से उन्हें 100 कंट्रोल यूनिट व 200 वीवी पैट रिजर्व के लिए मिले थे। उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि मतदान संपन्न होने के बाद स्ट्रांग रूम पहुंचे सेक्टरों मजिस्ट्रेटों की ओर से रिजर्व में दी गई मशीनों को परिसर के ही एक कक्ष में रखवा दिया गया था।