दोनों हाथ और पैरों से दिव्यांग शख्स बना मिसाल, जज्बा देख सभी हैरान
अगर हौसले हो बुलंद तो बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।
Updated: 28 Feb 2020, 01:20 PM IST
अमेठी. अगर हौसले हो बुलंद तो बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। "मंजिले उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है' पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है" मनुष्य की पहुंच से कुछ भी दूर नहीं है। अगर वह चाह ले तो सब कुछ कर सकता है ऐसा ही एक दास्तां हम आपको अमेठी जिले से बताने जा रहे हैं जहां पर अपने दोनों हाथों तथा दोनों पैरों से दिव्यांग व्यक्ति वह सब कुछ करता है। जो एक आम इंसान को कर रहा होता है। दैनिक दिनचर्या से लेकर मोबाइल बनाना और यहां तक की पत्थर फेंककर आम तोड़ना तथा कुंए से पानी भरना शामिल है।
इस दिव्यांग ने जीवन से हार नहीं मानते हुए प्रतीकूल आर्थिक स्थिति के बावजूद इस प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल पास कर इस बार इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रहा है। कहते हैं कि परिंदों को मंजिल मिलेगी यकीनन यह फैले हुए उनके पर बोलते हैं अक्सर वह लोग खामोश रहते हैं जमाने में जिनके हुनर बोलते हैं। इसी संघर्ष और जुनून की हर स्विमर सिर्फ कोई स्विमर नहीं बल्कि जिंदगी के असली मायने के और फलसफे सिखाने वाले इस व्यक्ति ने जो तमाम शारीरिक विकलांगता ओं के बीच लोगों से कह रहे हैं की लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं हमने उस हाल में जीने की कसम खाई है। किसी शायर ने खूब कहा है।आंधियों को जिद है जहां बिजलियां गिराने की मुझे भी जिद है वहीं आशियां बनाने की हिम्मत और हौसले बुलंद हैं खड़ा हूं अभी तक गिरा नहीं हूं अभी जंग बाकी है और मैं हारा भी नहीं हूं।
बात करने पर अमर बहादुर ने बताया कि मेरे हाथ काम नही करता मैं सोंच रहा हूं हम पढ़ें और अपने जिले का नाम रोशन करें। घर की स्थित अच्छी नहीं है, पिता कुछ करते नहीं भाई हैं तो उनका अपना परिवार है। अमर बहादुर कहते हैं कि सरकार अगर मदद करे तो आगे भी बढ़ जाऊंगा। अमर बहादुर की खास बात ये है के वो मोबाइल मैकेनिक भी हैं, पैरों से मोबाइल खोलना और बनाना उनके लिए कोई मुश्किल नहीं है। इससे जो पैसे मिलते है उसे वो अपनी पढ़ाई में खर्च करता है।
प्रधान प्रतिनिधि श्याम बहादुर सिंह बताते हैं कि अमर बहादुर काफी होनहार है। मोबाइल बनाने के साथ साथ बिजली का भी काम कर लेता है। इसके अलावा पढ़ने में भी तेज है। आर्थिक स्थित ठीक नही है। इनको प्रधानमंत्री आवास के साथ राशन कार्ड दिया गया है। मुख्यमंत्री आवास योजना में नाम भेजा गया है। वहीं अमर बहादुर की मां केवला ने बताया कि बचपन से इसका हाथ ठीक नहीं है। पहले हम खिलाते थे अब अपने पैरों से खाता है। दुःख तो बहुत है लेकिन अगर कोई मदद हो जाती तो ठीक था। अगर कोई नौकरी मिल जाती तो ये आगे बढ़ जाता।
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