नहीं कराई गई जांच पूरा मामला कलेक्ट्रेट में तैनात असलहा बाबू नीरज मौर्य से जुड़ा है। नीरज के भाई राहुल ने बताया कि दो जुलाई से पूर्व भाई का स्वास्थ्य कुछ गड़बड़ हुआ तो अधिकारियों ने उसे तीन दिन की छुट्टी देकर चेकअप कराने को बोला। राहुल ने बताया कि दो जुलाई को भाई की रिपोर्ट पाजिटिव आई, तो रात 9 बजे स्वास्थ्य विभाग की टीम घर पर पहुंची और भाई को गौरीगंज स्थित कोविड हास्पिटल में शिफ्ट करा दिया। तब से आजतक न तो मोहल्ले को सील किया गया और न ही घर व मोहल्ले को सेनेटाइज किया गया। जबकि इसके लिए अमेठी के डीएम अरुण कुमार तक से ट्वीट पर शिकायत की गई। राहुल ने जानकारी दी कि उसके परिवार में 25 लोगों से ऊपर सदस्य हैं। इसमे 9 महीने के बच्चे से लेकर सात साल की उम्र के बच्चे समेत कुल 4-5 बच्चे हैं। वहीं 60 साल की उम्र के भी पांच सदस्य परिवार में हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य प्रशासन की ओर से अब तक किसी की जांच तक नहीं कराई गई।
उधर, गौरीगंज जिला मुख्यालय पर स्थित हॉस्पिटल में बने कोविड सेंटर में कलेक्ट्रेट कर्मी नीरज मौर्य शिफ्ट हैं। नीरज ने वाट्सएप के एक ग्रुप पर यहां की व्यथा बयां करते हुए लिखा है कि ”मैं असलहा बाबू नीरज मौर्य असैदापुर में हूं। यहां साफ-सफाई भी बंद कर दी गई है। खाने में दो बार दाल, चावल, रोटी, सब्जी देकर कोरोना योद्धा बताते हैं जिंदा रहा। तू योद्धा नही। कह देंगे कोरोना से लड़ने लायक नही थी बाडी।” इस बात का जिक्र फोन पर बात करते हुए राहुल ने भी किया, उसने बताया कि भाई ने ऐसा ही हम लोगों को बताया है। बड़ा सवाल ये है कि जब अमेठी जैसे वीवीआईपी जिला, जो कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का संसदीय क्षेत्र है वहां व्यापक पैमाने पर लापरवाही बरती जा रही, तो प्रदेश के अन्य जिलो का हाल क्या होगा बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है।