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UP का एक ऐसा राजा जो शादीशुदा बैडमिंटन प्लेयर पर हो गया था फिदा, यूपी की राजनीति में आ गया था भूचाल

locationअमेठीPublished: May 22, 2023 01:58:29 pm

Submitted by:

Krishna Pandey

अमिता मोदी डायरी लिखती थीं। सैयद मोदी को अमिता और संजय सिंह के बीच रोमांस का शक था।

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शादी के साल ही अमिता की मुलाकात अमेठी के राजा संजय सिंह से हुई। वे राजनीति रसूख रखने वाले राजा थे।

बात 28 जुलाई 1988 की है। लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के बाहर मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की गोलीमार कर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात के वक्त सैयद मोदी स्टेडियम से प्रैक्टिस करके निकल रहे थे। अभी वे सड़क पर पहुंचे ही थे कि वहां घात लगाए हत्यारों ने उन पर ताबड़तोड़ 8 गोलियां दाग दी। साफ था कि गोली चलाने वाले नहीं चाहते थे कि सैयद मोदी जिंदा रहे। हत्यारे अपने मंसूबे में कामयाब भी हो गए।
बैडमिंटन कोर्ट से प्यार चढ़ा परवान, फिर लव ट्रैंगल और सैयद मोदी की हत्या
शुरुआती जांच के बाद मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था। सैयद मोदी हत्याकांड में शुरुआती जांच के दौरान अमेठी के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले तत्कालीन जनमोर्चा नेता संजय सिंह का नाम सामने आया था। उस वक्त यूपी की राजनीति में भूचाल आ गया था।
पत्नी अमिता मोदी से राजा संजय सिंह के बीच संबंध थे, सैयद मोदी को थी परेशानी
पूरे देश की निगाहें इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस की जांच पर टिकी थी। हर कोई यही जानना चाहता था कि आखिर किसके इशारे पर इस हत्यकांड को अंजाम दिया गया था। मामला सीबीआई के हिस्से में आया। सीबीआई ने कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह, अमिता कुलकर्णी मोदी, अखिलेश सिंह, बलई सिंह, अमर बहादुर सिंह, जितेंद्र सिंह उर्फ टिंकू व भगवती सिंह उर्फ पप्पू के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी। इसमें कहा गया था कि सैयद मोदी की पत्नी अमिता मोदी से संजय सिंह के विवाहेतर सम्बंध थे। इस सम्बंध में सैयद मोदी रोड़ा बन रहे थे। उन्हें रास्ते से हटाने के लिए साजिश कर 28 जुलाई 1988 को ये वारदात की गई।
मारुति सवार दो अज्ञात व्यक्तियों ने सैयद मोदी को गोली मार दी
हत्या वाले दिन दर्ज करवाई गई एफआईआर में कहा गया कि केडी सिंह बाबू स्टेडियम से वापस लौटते समय शाम करीब 7:45 पर मारुति सवार दो अज्ञात व्यक्तियों ने सैयद मोदी को गोली मार दी। सेशन कोर्ट ने संजय सिंह व अमिता मोदी को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद ही आरोपों से बरी कर दिया था। सत्र अदालत के इस निर्णय को पहले हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। वहीं, अखिलेश सिंह के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप तय किए जाने को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
2023 में सैयद की हत्या का मामला फिर चर्चा में आया
2023 में यह मामला फिर चर्चा में आया जब इस हत्याकांड में इकलौते और उम्रकैद के सजायाफ्ता मुजरिम भगवती सिंह उर्फ पप्पू के ऊपर, सुप्रीम कोर्ट ने रहम खाने से इनकार कर दिया। सैयद मोदी हत्याकांड में सजायाफ्ता भगवती सिंह, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने मगर हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए, मुजरिम को ही झटका दे डाला।
आइए अब चलते हैं साल 1988 में, खेल और खिलाड़ियों की दुनिया को, एक झटके में झकझोर डालने वाले उसी सैयद मोदी हत्याकांड के बारें में जानते हैं…

सैयद मोदी की हत्या का क्या था पूरा मामला?
सैयद मोदी की हत्या 28 जुलाई 1988 को की गई। उन्हें 8 गोलियां मारी गई। गोली लगने के बाद सैयद मोदी सड़क पर गिर गए। बाद में उन्हें अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। सैयद मोदी को 0.38 रिवॉल्वर से सीने में गोली मारी गई थी। उन्हें गोली मारने के बाद हमलावर बाइक से फरार हो गए थे।
28 साल के थे सैयद मोदी, जब हुई उनकी हत्या
सैयद मोदी देश के टॉप बैडमिंटन खिलाड़ी थे। वे आठ बार राष्ट्रीय चैंपियन बने थे। कॉमनवेल्थ गेम्स में बैडमिंटन सिंगल्स का गोल्ड जीता था। मोदी की हत्या के समय वे केवल 28 साल के थे। उनका करियर उभार पर थे। देश को उनसे काफी उम्मीदें थी। सबसे बड़ी थी कि सैयद मोदी ने देश के टॉप बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण को हराया था। इसके बाद उन्हें देश के बैडमिंटन खिलाड़ियों में टॉप रैंकिंग मिली थी। उनके मर्डर की सूचना फैलते ही राष्ट्रीय स्तर पर बवाल मच गया। सैयद मोदी की किसी से दुश्मनी नहीं थी। ऐसे में जैसे ही उनकी हत्या की सूचना आई, देश के तमाम अखबार में यह सुर्खियां बनी।
1978 में अमिता नाम की लड़की से दिल लगा बैठे थे सैयद, कर ली थी शादी
बात वर्ष 1978 की है, सैयद मोदी जूनिर नेशनल चैंपियन थे। उनका चयन बीजिंग में एक इंटरनेशनल बैडमिंटन टूर्नामेंट के लिए हुआ। उस टीम में एक महिला खिलाड़ी भी थीं। उनका नाम अमिता कुलकर्णी था। दोनों के बीच प्रेम बढ़ने लगा। गोरखपुर के साधारण परिवार से आने वाले सैयद मोदी का महाराष्ट्र के अच्छे परिवार की पढ़ी-लिखी मॉडर्न लड़की के प्रति झुकाव प्रेम में बदला। फिर 1984 में दोनों ने शादी कर ली।
अमिता की मुलाकात अमेठी के राजा से हुई और फिर शुरू हुई असली कहानी
शादी के साल ही अमिता की मुलाकात अमेठी के राजा संजय सिंह से हुई। वे राजनीति रसूख रखने वाले राजा थे। गांधी परिवार के करीबी और राजीव गांधी की निकटता के कारण वे खासा प्रभाव छोड़ते थे। करियर को लेकर अमिता ने मां बनने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सैयद मोदी को उन पर शक होने लगा।
पर्सनल डायरी में दर्ज थे अफेयर के किस्से
अमिता मोदी डायरी लिखती थीं। सैयद मोदी को अमिता और संजय सिंह के बीच रोमांस का शक था। अमिता को पता चल गया था कि सैयद मोदी उनकी डायरी पढ़ते हैं। ऐसे में वह डायरी में संजय सिंह के साथ रोमांस के बारे में लिखा करती थीं। 1987 में अमिता मोदी ने सैयद को मां बनने की खुशखबरी दी। सैयद को शक था कि वह उनका बच्चा नहीं है। इसको लेकर दोनों के बीच तनाव बढ़ रहा था। मई 1988 में अमिता मोदी को बेटी हुई। इसके दो माह के भीतर ही सैयद मोदी की हत्या हो गई।
सीबीआई ने शुरू की जांच, 7 लोगों को बनाया गया आरोपी
सैयद मोदी की हत्या का मामला पूरे देश में चर्चित हो गया था। ऐसे में यूपी सरकार ने इस हत्याकांड की जांच की सिफारिश सीबीआई से कराने की कर दी। सीबीआई ने जांच शुरू की तो इसमें संजय सिंह का नाम सामने आया। इसको लेकर यूपी की राजनीति में भूचाल आ गया। पूरे देश की निगाहें हाई प्रोफाइल मर्डर केस पर टिक गई। हर कोई जानना चाहता था कि आखिर किसके इशारे पर हत्या हुई। नवंबर 1988 में सीबीआई ने इस केस में चार्जशीट दायर की। इसमें सात लोगों को आरोपी बनाया गया। आरोपियों में संजय सिंह, अमिता मोदी, जितेंद्र सिंह, भगवती सिंह, अखिलेश सिंह, अमर बहादुर सिंह और बलई सिंह शामिल थे।
अमिता मोदी की डायरी भी जब्त, संजय सिंह से थे गहरे संबंध
सीबीआई ने आरोप लगाया कि संजय सिंह, अमिता मोदी और अखिलेश सिंह ने सैयद मोदी के मर्डर की साजिश रची थी। अन्य 4 लोगों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। सीबीआई की फाइंडिंग के मुताबिक केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास मारुति कार से जब भगवती सिंह ने सैयद मोदी पर रिवॉल्वर से फायरिंग कि तो दूसरे आरोपी जितेंद्र सिंह ने उसका साथ दिया था। जांच के दौरान सीबीआई ने अमिता मोदी की डायरी भी जब्त की थी। इसमें संजय सिंह से उनके नजदीकी रिश्तों की बात दर्ज थी। सीबीआई की दलील थी कि संजय सिंह ने ही सैयद मोदी की हत्या के लिए साथी अखिलेश सिंह की मदद ली थी। भाड़े के हत्यारे भेजे गए थे।
संजय सिंह के पक्ष में उतरे थे राम जेठमलानी
संजय सिंह के पक्ष में कोर्ट में दिग्गज वकील राम जेठमलानी उतरे थे। इसके बाद रिश्तों की उलझी गुत्थी को कानून के कटघड़े में खड़ा किया गया तो वहां सीबीआई के दावों की धज्जियां उड़ गई। संजय सिंह और अमिता मोदी ने सीबीआई की चार्जशीट को कोर्ट में चुनौती दी। पुख्ता सबूत के अभाव में सितंबर 1990 में सेशन कोर्ट ने संजय सिंह और अमिता मोदी का नाम केस से अलग कर दिया। सीबीआई के लिए यह पहला झटका था। सीबीआई को दूसरा झटका 1996 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया। कोर्ट ने एक अन्य आरोपी अखिलेश सिंह को बरी कर दिया।
आरोपी जितेंद्र को भी किया गया रिहा
एक अन्य आरोपी जितेंद्र सिंह को भी संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया था। सीबीआई की ओर से 7 में से चार आरोपी पहले ही रिहा हो गए। इसके बाद कानून के दायरे में आए अमर बहादुर सिंह का मर्डर हो गया। एक और आरोपी बलई सिंह की मौत हो गई। इसके बाद बचे केवल एक आरोपी भगवती सिंह। लखनऊ की सेशन कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 22 अगस्त 2009 को सीबीआई ने कोर्ट में उनके खिलाफ फांसी की मांग की, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।

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