केंद्र सरकार की जिला अस्पतालों को अपग्रेड कर मेडिकल कॉलेज बनाने की नीति है। इसके तहत मेडिकल कॉलेज के लिए केंद्र सरकार की 60 फीसदी और राज्य सरकार की 40 फीसदी खर्च करने की योजना है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसी नीति पर मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव मांगा था। मानक पूरा न होने पर अमेठी में बनने वाले मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। प्रस्ताव मंजूर न होने पर एमएलसी दीपक सिंह ने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अमेठी में मेडिकल कॉलेज बनाना इस सरकार के बस की बात नहीं है। सदन की पिछली कार्यवाही के दौरान जब हमने सरकार से मेडिकल कॉलेज को लेकर सवाल किया तो सरकार ने बताया था कि अभी अमेठी में मेडिकल कॉलेज बनाने की कोई योजना नहीं है। हालांकि, इसके बाद बीजेपी अपने झूठ को छिपाने के लिए प्रशासन को आगे लेकर आई और सोशल मीडिया पर वायरल कराया कि जल्द ही मेडिकल कॉलेज बनेगा। अब स्मृति ईरानी का झूठ जनता के सामने आ गया है।
भाजपा फैलाती है प्रॉपोगेंडा कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंहल ने भाजपा मंत्रियों पर प्रॉपोगेंडा फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अमेठी मेंं जो इंस्टीट्यूट हैं, वे सभी कांग्रेस की देन हैं। बीजेपी के लोग और मंत्री प्रॉपोगेंडा फैलाते हैं और झूठ का सहारा लेकर राजनीति करते हैं। उन्होंने स्मृति ईरानी को झूठा बताया और कहा कि उन्होंने अमेठी की जनता के विश्वास के साथ धोखा किया है। उन्हें इसके लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए।
क्यों नहीं मंजूर हुआ प्रस्ताव मेडिकल क़लेज के प्रस्ताव को मंजूर न करने की मुख्य वजह तिलोई अस्पताल से मुख्यालय की अधिक दूरी को बताया गया है। जिला अस्पतालों को अपग्रेड कर मेडिकल कॉलेज बनाने के मानकों के तहत जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के भवन के दूरी 10 किलोमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन अमेठी का जिला अस्पताल गौरीगंज में बनना है। मेडिकल कॉलेज की जमीन वहां से करीब 30 किलोमीटर दूर तिलोई में पाई गई है। 10 किलोमीटर की दूरी का मानक पूरा होने के कारण फिलहाल के लिए अमेठी में मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया गया।
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव चिकिस्ता शिक्षा विभाग ने अमेठी जिले के तिलोई में मेडिकल कॉलेज बनाने के प्रस्ताव को केंद्र को भेजा है। विभाग का कहना है कि तिलोई में मातृ शिशु कल्याण अस्पताल में 200 बेड हैं। यह अस्पताल मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए 10 किलोमीटर के मानक को भी पूरा करता है। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को भी नहीं माना। मंत्रालय की मंशा साफ है कि वह जिला अस्पतालों को अपग्रेड कर मेडिकल कॉलेज बनाएगी।