पहले लिखा था पत्र उन्होंने बताया कि 2016-17 में मानव संसाधन विकास और विदेश मंत्रालय को उनके मंत्रालय ने पत्र लिखा था। इनमें उक्त संबंधित दस्तावेजों को बिना पिता के नाम के जारी करने का अनुरोध किया गया था। पत्र में कहा गया था कि मां व बच्चे की इच्छा होने पर पासपोर्ट और वीजा जैसे दस्तावेजों में पिता का नाम शामिल नहीं किया जाए। यह पत्र 15 अप्रैल, 2016 को लिखा गया था।
ये भी पढ़ें: दीदी आपके द्वार’ कार्यक्रम में सुनी लोगों की समस्याएं, किया परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण इसके बाद इसी साल 24 अप्रैल को लिखे पत्र में बताया गया कि जब तलाकशुदा महिला अपने बच्चे का वीजा बनवाती है, तो उसे बच्चे के जैविक पिता से एनओसी लेनी होती है। इसमें कई तरह की दिक्कतें आती हैं। इसलिए संबंधित दस्तावेजों में किसी भी तरह की परेशानी को खत्म करने के लिए पिता का नाम दर्ज न करने की रियायत मिलनी चाहिए।