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राजीव गांधी ने रखी थी इस बात की नींव, अब स्मृति ने उठाया बीड़ा, मिलेगा हजारों लोगों को रोजगार

locationअमेठीPublished: Sep 21, 2019 04:21:16 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

– स्व.राजीव गांधी के दौरान रखी थी कारखाने की नींव
– कई सालों से बंद पड़ा था कारखाना

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के प्रयासों से अमेठी में खुला 20 साल पुराना कारखाना

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के प्रयासों से अमेठी में खुला 20 साल पुराना कारखाना

अमेठी. केंद्रीय मंत्री व सांसद स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने अमेठी के लोगों को दी बड़ी सौगात दी है। अमेठी में 20 सालों से बंद पड़े कंबल कारखाने को उनके प्रयासों द्वारा दोबारा शुरू किया गया। करखाने के खुलने से स्थानीय लोगों में खुशी है। इससे अमेठी के लोगों के लिए रोजगार सृजन होगा। बता दें कि कारखाने की नींव स्व. राजीव गांधी के दौरान रखी गई थी।
अमेठी में पिछले 20 वर्षो से बंद पड़े कंबल फैक्ट्री का संचालन पुनः शुरू किया गया। यह कंबल फैक्ट्री पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी द्वारा 1983 में अमेठी विधानसभा के गुंगुवाछ गांव में खोली गई थी। इसके लिए गांव के तत्कालीन ग्राम प्रधान लाल बहादुर सिंह ने फैक्ट्री की स्थापना के लिए नौ बीघा भूमि उपलब्ध कराई थी। 32 लाख की लागत से यह कंबल कारखाना वर्ष 1984 में बनकर तैयार हुआ था। कंबल कारखाने में एक वॉशिंग मशीन, रेजिंग मशीन और ऊन धुनाई मशीन लगाए गए थे। कारखाने में उस वक्त सूत काटकर उपलब्ध कराए जाने के लिए पांच सेंटर (गुंगुवाछ, कस्तूरीपुर, भीमी, रानीपुर,धौराहरा गांव में ) स्थापित किए गए थे और प्रति सेंटर पर 50-50 चरखे सूत कातने के लिए दिए गए थे।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के प्रयासों से अमेठी में खुला 20 साल पुराना कारखाना
साल 2000 में कंबल कारखाना भाजपा सरकार के दौरान उपेक्षा के कारण बंद हो गया था। उसके बाद करीब दो वर्ष तक इससे जुड़े कर्मी कंबल कारखाने के चलने के इन्तजार में बैठे रहे। लेकिन इस बीच उन्हें बोर्ड की ओर से नोटिस मिलने के बाद कारखाने को बंद कर दिया गया था। क्षेत्र के लोगों की मांग पर स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के प्रयास से मुख्यमंत्री के निर्देश पर कंबल कारखाना फिर से शुरू किया गया।
कारखाने में हुए कई बदलाव

स्थानीय लोगों का मानना है कि कारखाने में अब पहले जैसी बात नहीं रह गई। पहले की तुलना में अब सूत कटाई के लिए गांव-गांव सेंटर नहीं बनाए जाएंगे। सेंटर बनने से स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर मिलता था। अब बाहर से तैयार सूत कंबल कारखाने में आएगा और उससे कंबल तैयार किया जाएगा। इस इकाई में पुराने पांच हथकरघा और पांच नए हथकरघा स्थापित किए गए हैं जिसमें करीब 15 बुनकरों को रोजगार मिलेगा। वर्तमान में कंबल कारखाने में चार नियमित और एक संविदा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की तैनाती की गई है।
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