बहरोड़ उपकारागृह: जेल की क्षमता जहां 45 बंदी रखने की है और रखे 78 जा रहे है। नए जेल मैनुअल के हिसाब से तो वर्तमान भवन में केवल 25 बंदी ही रख सकते है।
बहरोड़ उप कारागृह का भवन काफी पुराना होने और नए जेल मैनुअल के हिसाब से नहीं होने के कारण यहां पर क्षमता से अधिक बंदी रखे जा रहे है। इससे व्यवस्थाएं सुचारू रखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जेल की क्षमता जहां 45 बंदी रखने की है और रखे 78 जा रहे है। नए जेल मैनुअल के हिसाब से तो वर्तमान भवन में केवल 25 बंदी ही रख सकते है। यह हालात तो तब है जब हर माह यहां से अन्य जेलों में बंदी शिफ्ट किए जाते है। जेल में केवल दो बैरक है, जिनमें इतने कैदी रखना मुश्किल होता रहता है।
नहीं मिलती है जल्द शिफ्ट करने की अनुमति
जेल अधिकारी ने बताया कि जेल विभाग के उच्च अधिकारियों के पास हर माह बड़े स्तर पर बंदियों को अलवर सेंट्रल जेल में शिफ्ट करने के लिए पत्र लिखा जाता है लेकिन उसके बाद भी बंदियों को शिफ्ट करने की समय पर मंजूरी नहीं मिलती है। इसके कारण लगातार जेल में बंदियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
खतरनाक गैंग के बंदी होने से गैंगवार की आशंका
बहरोड़ जेल में वर्तमान में हरियाणा की कौशल गैंग सहित जैनपुरबास की जसराम गैंग सहित अन्य हार्डकोर अपराधी बंद है। जिनमें अन्दर गैंगवार का खतरा बना रहता है। बहरोड़ जेल में पूर्व में कई बार कैदियों के बीच गैंगवार व आपसी विवाद को लेकर लड़ाई झगड़ा हो चुका है।लेकिन उसके बाद भी यहां पर तय क्षमता से अधिक बंदियों को रखा जा रहा है।
नहीं बढ़ी बैरिक की संख्या
बहरोड़ जेल में वर्तमान में 45 पुरुष व 5 महिला बंदियों के लिए बैरक बनी हुई है। लेकिन जिस तरह से लगातार यहां पर बंदियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, उसके अनुसार यहां पर एक बड़ी जेल की जरूरत है लेकिन अभी तक जेल विभाग इसको लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है।
आधा दर्जन थानों की पुलिस भेजती है बंदी
बहरोड़ जेल में बहरोड़, नीमराणा, शाहजहांपुर, मांढ़ण, बानसूर व हरसौरा पुलिस विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किए जाने वाले आरोपियों को कोर्ट के आदेश पर बहरोड़ जेल में दाखिल करवाती है। जिनमे अधिकतर बंदी विभिन्न गैंग से जुड़े हुए है।
लिखा है 50 बीघा जमीन के लिए पत्र
जेल की क्षमता कम है। नए जेल मैनुअल के अनुसार तो बेहद कम है। 500 बंदी रखने की क्षमता वाली नई जेल के लिए 50 बीघा जमीन आवंटन करने की मांग को लेकर जिला कलक्टर को पत्र लिखा है। अभी मौजूद व्यवस्थाओं से काम चलाया जा रहा है, जबकी जेल में कई खतरनाक गैंग बंदी है।
-कालूराम मीणा, प्रभारी उप कारागृह बहरोड़