महात्मा गांधी स्कूलों की समीक्षा को लेकर कमेटी गठन का मामला
Bhilwara news : कांग्रेस शासन में प्रदेश भर में खोले राजकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की समीक्षा को लेकर राज्य स्तनीय कमेटी के गठन ने अभिभावकों में चिंता बढ़ा दी है। खासकर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों को लेकर। दूसरी ओर इन विद्यालयों में पढ़ा रहे शिक्षक भी असमंजस में हैं। असमंजस इसका है कि पता नहीं कौनसे अंग्रेजी माध्यम स्कूल बंद कर दिए जाए। अभिभावकों एवं शिक्षकों की इसी स्थिति के चलते ही चालू शिक्षा सत्र में अपेक्षा के अनुरूप अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में नामांकन नहीं हो सका था। अब राज्य स्तरीय कमेटी ने समीक्षा में ज्यादा समय लिया तो आगामी शिक्षा सत्र में नामांकन बढ़ाने में संस्था प्रधानों व शिक्षा अधिकारियों को फिर जोर आएगा।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने हिन्दी माध्यम विद्यालयों को राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में रूपांतरित करने के निर्णय की समीक्षा को लेकर चार सदस्यीय कमेटी गठित बनाई है।
तो देनी पड़ेगी फीस
चार-पांच साल से अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में पढ़ रहे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों को स्कूल बंद होने पर अभिभावकों को अन्यत्र अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में भेजना होगा। निकट ही सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल नहीं हुआ तो दिक्कत बढ़ जाएगी। ऐसे में निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में मोटी फीस देकर पढ़ाना शायद ही सबके लिए संभव हो।
संचालित में 92 स्कूल संचालित
जिले में 92 राजकीय महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल हैं। प्रदेश में 3737 अंग्रेजी माध्यम स्कूल हैं। मौजूदा सरकार ने एक भी अंग्रेजी माध्यम स्कूल नहीं खोला। इसका मतलब है कि प्रदेश के सभी स्कूल एक बरस से ज्यादा पुराने हो गए। जानकारों की माने तो कांग्रेस सरकार के दौरान बनाए 17 में से 9 जिलों को भाजपा सरकार ने निरस्त कर दिया। उनकी भौगोलिक स्थिति वापस मूल जिलों में शामिल हो गई है। अब सरकार की नजर अंग्रेजी माध्यम स्कूलों पर है। राज्य स्तरीय कमेटी उन पर ज्यादा एक्शन कर सकती है।