धर्म-कर्म

Hanuman Ji Sindur Katha: हनुमान जी को क्यों प्रिय है सिंदूर, जानिए पूरी कहानी

Hanuman Ji Sindur Katha: हनुमान जी को सिंदूर लगाने की परंपरा भारतीय धर्म और संस्कृति में विशेष महत्व रखती है। यह परंपरा पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों से जुड़ी हुई है। सिंदूर लगाने का यह कार्य हनुमान जी के प्रति श्रद्धा, समर्पण और उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रतीक माना जाता है।

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Nov 19, 2024
यहां जानिए हनुमान जी को सिंदूर क्यों प्रिय है ?

Hanuman Ji Sindur Katha: हिंदू धर्म में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। इनको को बल, बुद्धि और विद्या के दाता कहा जाता है। भक्त हनुमान जी को खुश करने के लिए विधि-विधान से पूजा करते हैं। खासकर लोग मंगलवार के दिन हनुमान को सिंदूर चढ़ाते हैं। क्योंकि मान्यता है कि यह दिन हनुमान जी को समर्पित है। लेकिन क्या आपको पता है कि हनुमान जी को सिंदूर क्यों चढ़ाया जाता है? जानें क्या है सिंदूर चढ़ाने के पीछे की कहानी..

धार्मिक कथा (Dharmik Katha)

हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की कथा रामायण से जुड़ी है। मान्यता है कि एक बार माता सीता ने हनुमान जी को अपने माथे पर सिंदूर लगाते देखा। हनुमान जी ने पूछा कि वह सिंदूर क्यों लगाती हैं। माता सीता ने उत्तर दिया कि यह श्रीराम की लंबी आयु और सुख-शांति के लिए है। यह सुनकर हनुमान जी ने सोचा कि अगर थोड़ा सिंदूर लगाने से श्रीराम प्रसन्न होते हैं। इसके बाद हनुमान जी ने सोचा कि वह अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर उन्हें अत्यधिक प्रसन्न कर सकते हैं। तब से हनुमान जी को सिंदूर लगाने की परंपरा शुरू हुई।

सिंदूर का महत्व (Sindur Ka mahtva)

सिंदूर का रंग हनुमान जी की ऊर्जा, शक्ति और भक्ति का प्रतीक है।

ऐसा माना जाता है कि सिंदूर लगाने से हनुमान जी भक्तों को संकटों से बचाते हैं और हर तरह की बाधाओं को दूर करते हैं।

हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है।

पूजा और शुभ कार्यों में हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए सिंदूर का उपयोग किया जाता है।

धार्मिक परंपरा (Dharmik Parampara)

आज भी हनुमान मंदिरों में भक्त सिंदूर का लेप चढ़ाते हैं। यह न केवल उनके प्रति भक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का माध्यम भी है। मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाने का विशेष महत्व है।

हनुमान जी को सिंदूर लगाने की परंपरा न केवल उनकी भक्ति और शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे जीवन में उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का भी माध्यम है। इस परंपरा के पीछे भक्तों की गहरी आस्था और धार्मिक भावना जुड़ी हुई है।

Published on:
19 Nov 2024 08:01 pm
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