पौष माह के बाद मकर संक्रांति से माघ माह प्रारंभ हो चुका है। धार्मिक दृष्टि से यह माह काफी विशेष माना गया है। माना जाता है कि इस माह में स्नान और दान करने का फल दोगुना तक हो जाता है।
-संक्रांति से विष्णु और सूर्य की आराधना का माह माघ का प्रारंभ
-वसंत पंचमी सहित कई व्रत और पर्व जनवरी-फरवरी में
धौलपुर. पौष माह के बाद मकर संक्रांति से माघ माह प्रारंभ हो चुका है। धार्मिक दृष्टि से यह माह काफी विशेष माना गया है। माना जाता है कि इस माह में स्नान और दान करने का फल दोगुना तक हो जाता है। तमाघ माह में गुप्त नवरात्र, वसंत पंचमी के साथ अनेक त्योहार आएंगे। इसके साथ ही पूरे माह अनेक व्रत भी रहेंगे।
इस माह में भगवान सूर्यदेव के साथ-साथ लक्ष्मीनारायण की आराधना करना अत्यंत फलदायी माना गया है। माघ माह 12 फरवरी तक रहेगा। हिंदी पंचांग के अनुसार यह माह विशेष फलदायी है। खासकर इस माह में अनेक लोग दान पुण्य करते हैं और तीर्थ स्थलों पर स्नान करने जाते हैं। इस समय प्रयाग में महाकुंभ भी चल रहा है। माघ माह में अनेक श्रद्धालु कुंभ स्नान करने के लिए पहुंचेंगे।
साधना-आराधना के लिए अत्यंत फलदायी
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि माघ का महीना आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह साधना और आराधना दोनों के लिए उत्तम माना गया है, साथ ही यह दान पुण्य कमाने का महीना होता है। इस माह में कई साधु-संत एक माह का कल्पवास करते हैं और कठिन साधना करते हैं। इस महीने में भगवान सूर्य देव और भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा का विशेष विधान है।
माघ माह के प्रमुख व्रत-त्योहार
17 जनवरी संकष्टी गणेश चतुर्थी, 25 जनवरी षटतिला एकादशी, 26 जनवरी तिल द्वादशी, 27 जनवरी सोम प्रदोष, 29 जनवरी मौनी अमावस्या, 30 जनवरी गुप्त नवरात्र, 3 फरवरी वसंत पंचमी, 4 फरवरी शीतला सप्तमी, 5 फरवरी भीमा अष्टमी, 6 फरवरी महानंदा नवमी, 8 फरवरी जया एकादशी, 10 फरवरी प्रदोष, 12 फरवरी माघी पूर्णिमा।
माघ माह के नियम
- इस माह में आपको प्रत्येक दिन स्नान करना चाहिए, पानी में काला तिल मिलाकर कर स्नान करें।
- इस पूरे माह में आप एक समय ही भोजन करें, सात्विक भोजन करें।
- माघ माह में तिल का उबटन, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिलों से पितृ तर्पण, तिल का हवन, तिल का दान और तिल से बनी हुई सामग्री का भोजन करने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है।
- माघ माह में रोजाना तुलसी के पौधे की पूजा करनी चाहिए साथ ही इस मास में तिल, गुड़ और कंबल के दान का खास महत्व माना जाता है।