रेल सफर को सुरक्षित बनाने के लिए इन दिनों रेलवे कवच प्रणाली पर ध्यान दे रही है। यह कवच प्रणाली हादसों को राकेगी और यात्रा के लिए रेलवे को और अधिक सुरक्षित बनाएगी। उधर, कवच प्रणाली को लेकर उत्तर-मध्य रेलवे ने कार्य शुरू कर दिया है। एनसीआर में 2500 किलोमीटर कवच कार्य को हरी झण्डी मिल चुकी है। जिसमें से 1300 किमोमीटर कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू हो गई है।
- उत्तर मध्य रेलवे में 2500 किलोमीटर कवच कार्य हुआ स्वीकृत
- वंदे भारत के कार सेट का हो चुका है ट्रायल
धौलपुर. रेल सफर को सुरक्षित बनाने के लिए इन दिनों रेलवे कवच प्रणाली पर ध्यान दे रही है। यह कवच प्रणाली हादसों को राकेगी और यात्रा के लिए रेलवे को और अधिक सुरक्षित बनाएगी। उधर, कवच प्रणाली को लेकर उत्तर-मध्य रेलवे ने कार्य शुरू कर दिया है। एनसीआर में 2500 किलोमीटर कवच कार्य को हरी झण्डी मिल चुकी है। जिसमें से 1300 किमोमीटर कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में एनसीआर में कार्य शुरू हो जाएगा। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य मार्गों पर कवच प्रणाली लागू करने वाले अग्रणी रेल जोनों में से एक है। यह प्रणाली उत्तर मध्य रेलवे के सभी प्रमुख मार्गो पर स्थापित की जा रही है। यह प्रणाली दिल्ली हावड़ा, दिल्ली-मुंबई एवं दिल्ली-चेन्नई मार्गों पर स्थापित की जा रही है।
आगरा मण्डल में हो चुका ट्रायल
बता दें कि उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल में भूतेश्वर-पलवल सेक्शन में कवच सुसज्जित वंदे भारत (22469/70 एवं 20171/172) कार सेटों का ट्रायल हो चुका है। उत्तर मध्य रेलवे में भूतेश्वर-पलवल 80 रूट किमी का क्षेत्र अब कवच प्रणाली से पूरी तरह सुसज्जित और शुरू हो चुकी है। इसके पूर्व सेक्शन में कवच वर्जन 3.2 के साइट इंस्टॉलेशन और परीक्षण गतिविधियां पूरी हो चुकी हैं। जिसमें एसटीसीएएस/एलसी टीसीएएस इंस्टॉलेशन, टावर इरेक्शन, आरएफआईडी इंस्टॉलेशन, लोको सिम्युलेटर का उपयोग करके एफएटी और सैट करना आदि शामिल हैं। भूतेश्वर (छोडकऱ) -पलवल (छोडकऱ) सेक्शन में 14 स्टेशन कवच, 29 रिमोट इंटरफेस यूनिट (आरआईयू) 14 फील्ड इनपुट एक्सटेंडर यूनिट (एफआईई) स्टेशनए एवं केबिन और ऑटो हट्स/एलएससी में स्थापित किए गए हैं। वहीं, उत्तर मध्य रेलवे ने प्रयागराज-कानपुर सेक्शन में भी कवच 4.0 सिस्टम की स्थापना का महत्वपूर्ण कार्य हो चुका है। यहां लाइट इंजन लोको ट्रायल किए जा रहे हैं।
4381 पायलटों को दिया प्रशिक्षण
उत्तर मध्य रेलवे के तीनों मंडलों के 4381 लोको पायलट/सहायक लोको पायलट/लोको निरीक्षकों को कवच प्रशिक्षण दिया है। जिसमें हाई स्पीड क्रू को कवर किया गया है। यह संख्या भारतीय रेल में सर्वाधिक है। लोको पायलटों और लोको इंस्पेक्टरों के लिए नियमित क्लास रूम और लैब सिम्युलेटर प्रशिक्षण परियोजना कार्यालय मथुरा में चलाया जा रहा है। कवच लोको ट्रायल के दौरान लोको पायलटों को नियमित काउंसलिंग दी जा रही है।
यूं कार्य करती करती है कवच प्रणाली
बता दे ंकि यह एक तरह की डिवाइस है जो ट्रेन के इंजन के अलावा रेलवे के रूट पर भी लगाई जाती है। इससे दो ट्रेनों के एक ही ट्रैक पर एक-दूसरे के कऱीब आने पर ट्रेन सिग्नल, इंडिकेटर और अलार्म के जरिए ट्रेन के पायलट को इसकी सूचना मिल जाती है। रेलवे बोर्ड के अनुसार अभी तक कवच सिस्टम 1500 किमी में लगाया जा चुका है और इस साल अंत तक 3000 और किलोमीटर में लगाया जाएगा। वहीं, अगामी वर्ष में भी 3 हजार किलोमीटर रेलवे लाइन को इस प्रणाली से लैस कर दिया जाएगा।