Assistant professor recruitment: असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती से नाराज अतिथि विद्वान, दो विषय में सामान्य के लिए नहीं पद
Assistant professor recruitment: मप्र लोक सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 1930 पदों पर भर्ती निकाली है। इस भर्ती में 25 प्रतिशत सीटें अतिथि विद्वानों के लिए आरक्षित की गई हैं। इन अतिथि विद्वानों को आयु सीमा में भी 10 साल की छूट दी गई है, जिसके बाद वर्षों से कार्यरत जनभागीदारी अतिथि विद्वानों ने नाराजगी जताई है। नियुक्ति भी सरकार के नियमों के आधार पर ही हुई है, फिर हमें अनुभव का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा हिंदी और कॉमर्स विषय में सामान्य वर्ग के लिए कोई पद नहीं दिया गया है।
अतिथि विद्वान आशीष कपूर का कहना है कि कंप्यूटर साइंस विषय पिछले 25 सालों से सरकारी कॉलेजों में चलाया जा रहा है। इसके बाद भी आयोग ने कंप्यूटर साइंस/एप्लीकेशन विषय में जो पद स्वीकृत किए हैं उसमें अतिथि विद्वान वालों का अनुभव नहीं लिया जा रहा है, जबकि जन भागीदारी को शासन द्वारा ही बनाया गया है। जनभागीदारी अतिथि विद्वानों का अनुभव शून्य लग रहा है।
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अतिथि विद्वान डॉ. अमरीश निगम ने कहा, सेल्फ फाइनेंस शासन द्वारा बनाई गई एक नीति है, जिसमें नियुक्ति की प्र₹िया पूर्णत: पारदर्शी होकर मेरिट के आधार पर शासकीय अतिथि विद्वानों नियमों के आधार पर ही नियुक्ति दी गई।
इतने वर्षों से अतिथि विद्वान इसमें अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। सेल फाइनेंस अतिथि विद्वानों को भी अतिथि विद्वानों के समान लाभ प्राप्त होना चाहिए।
दो विषयों में सामान्य वर्ग के लिए नहीं दिए पद: एमपीपीएससी ने कॉमर्स और हिंदी विषय में एक भी पद सामान्य वर्ग के लिए नहीं रखा है। असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए कॉमर्स के 111 व हिंदी के 113 पद हैं। कॉमर्स में इस साल के अलावा 2019 का ओबीसी का बैकलॉग भी शामिल किया गया है। अभ्यर्थी इसमें सामान्य के लिए भी पद जोड़ने की मांग कर रहे हैं। अभ्यर्थियों ने इसे भेदभाव बताया है।