मोहनगढ़ उपनिवेश क्षेत्र में खाली पड़ी सरकारी और गोचर भूमि पर कब्जा करना आम बात हो गई है। ग्राम मंधा और इसके आसपास हजारों बीघा सरकारी जमीन पर अतिक्रमियों की ओर से खेती की जा रही है।
मोहनगढ़ उपनिवेश क्षेत्र में खाली पड़ी सरकारी और गोचर भूमि पर कब्जा करना आम बात हो गई है। ग्राम मंधा और इसके आसपास हजारों बीघा सरकारी जमीन पर अतिक्रमियों की ओर से खेती की जा रही है। बरसात के मौसम में यह समस्या और गंभीर हो जाती है, क्योंकि अतिक्रमी इन जमीनों पर अवैध रूप से बीजाई कर लाखों की फसलें उगाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जिम्मेदारों की निष्क्रियता के चलते अतिक्रमियों के हौसले बुलंद हैं। गत पांच महीनों से इस क्षेत्र में अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार वर्ष 2017 से अब तक कई बार जिला प्रशासन और उपनिवेशन विभाग को ज्ञापन सौंपे गए। हाल ही में 29 अगस्त 2024 को उपनिवेशन तहसील मोहनगढ़-2 के तहसीलदार को भी ज्ञापन सौंपा गया। इसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
उपनिवेशन विभाग ने पटवारी से मौका मुआयना करवा कर 64 अतिक्रमियों की पहचान की और उन्हें 400 रुपए प्रति बीघा जुर्माना भरने का नोटिस जारी किया। इनमें से 30 व्यक्तियों ने जुर्माने के तौर पर लगभग पांच लाख रुपये जमा किए, लेकिन रसीदें अब तक नहीं दी गईं। ग्राम मंधा के तोगाराम, दुर्गाराम, गुमानाराम आदि बताते हैं कि मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
ग्रामीणों का कहना है कि सर्वे में 80 प्रतिशत भूमि को खराबा घोषित कर बाकी अतिक्रमियों को कथित तौर पर बचाने की कोशिश की जा रही है, जबकि हकीकत में अतिक्रमियों ने हाल ही में इन जमीनों से लाखों की फसलें काटी हैं।
उपनिवेशन तहसील मोहनगढ़-2 के कार्यवाहक तहसीलदार सवाईसिंह चारण का कहना है कि उन्हें इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है। जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी व्यक्ति से जुर्माना वसूला गया है और रसीद नहीं दी गई है तो उसकी भी जांच कर रसीदें उपलब्ध कराई जाएंगी।