UP By Election 2024: उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों ने इन चुनावों को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इन दिनों जहां आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है वहीं 'लाल कार्ड' का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है।
UP By Election 2024: उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में प्रशासनिक कार्रवाई और राजनीतिक बयानबाजी ने माहौल को और तीखा बना दिया है। लाल कार्ड को लेकर उठे सवालों ने शांतिपूर्ण चुनाव कराने की प्रक्रिया पर बहस छेड़ दी है। अब देखना यह होगा कि 20 नवंबर को होने वाले मतदान और 23 नवंबर को आने वाले नतीजे इस राजनीति पर क्या प्रभाव डालते हैं।
इन उपचुनावों में जिन नौ सीटों पर मतदान होना है, उनमें कटेहरी (अंबेडकरनगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज), और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं। आठ सीटें मौजूदा विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के कारण खाली हुई हैं और सीसामऊ सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण उपचुनाव हो रहा है।
अखिलेश यादव ने एक लाल कार्ड की तस्वीर साझा करते हुए आरोप लगाया कि अधिकारी इस कार्ड का उपयोग मतदाताओं पर दबाव बनाने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने इसे प्रशासनिक पक्षपात का प्रमाण बताते हुए चुनाव आयोग से इस मामले पर तत्काल कार्रवाई की मांग की।
लाल कार्ड एक विशेष नोटिस है जिसे पुलिस द्वारा उन लोगों को जारी किया जाता है, जिन पर चुनाव के दौरान कानून-व्यवस्था बिगाड़ने का संदेह होता है। यह कार्ड चुनावी क्षेत्रों में शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए जारी किया जाता है। इसके जरिए पुलिस व्यक्तियों को चेतावनी देती है कि अगर उन्होंने कोई गड़बड़ी की तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। हालांकि विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर मतदाताओं को डराया जा रहा है।
अखिलेश यादव ने एक पोस्ट में लिखा, "चुनाव आयोग तुरंत इस बात का संज्ञान ले कि उत्तर प्रदेश में शासन-प्रशासन पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है और मतदान को बाधित करने के लिए 'नोटिस-चेतावनी' के लाल कार्ड बांटकर मतदाताओं पर दबाव बना रहा है। यह संविधान द्वारा दिए गए वोटिंग के अधिकार को छीनने का गैर-कानूनी कार्य है। इसे अपराध के रूप में दर्ज कर तुरंत कार्रवाई की जाए अन्यथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय से अपील होगी।"