- जिले में नहरों की सफाई में हो रही औपचारिकता - 171 किमी लंबी अंबाह ब्रांच कैनाल और 55 किमी की मुरैना ब्रांच कैनाल व उनसे निकली माइनरी व वितरिकाओं की होनी थी सफाई, पानी छोड़ा नहीं हो सकी पूरी सफाई
मुरैना. नहर किसानों की सही मायने में जीवनदायिनी हैं। इन नहरों को सुव्यवस्थित रखने की जिम्मेदारी जल संसाधन विभाग के अफसरों की है। मगर ये काम भी अफसरों से नहीं हो रहा है। मगर ये काम भी अफसरों से नहीं हो रहा है। सफाई का काम जिस समय सीमा में किया जाना चाहिए, वह नहीं हो पा रहा है। इन दिनों नहरों की सफाई के नाम पर औपचारिता की जा रही है। नहरों में पानी छोड़ा जा चुका है जबकि सफाई पूरी तरह नहीं हो सकी है।
ठेकेदारों ने नहरों की सफाई का ठेका लिया है लेकिन ब्लो रेट पर होने के कारण काम तरीके से नीं हो रहा। नहरों में मशीन से मिट्टी एकत्रित कर दी है लेकिन उसको हटाया नहीं गया है। उधर पानी छोडऩे की तारीख नजदीक आ रही है, पानी आने पर वह मिट्टी फिर से पानी में मिलकर नहर में जमा हो जाएगी। इस वजह से किसान परेशान होते है क्योंकि सफाई समय पर प्रोपर तरीके से नहीं होने से पानी आने पर नहरों के फूटने की आशंका रहती है। अंबाह ब्रांच कैनाल का 11 लाख और अंबाह ब्रांच कैनाल की सफाई का टेंडर 7 लाख रुपए में हुआ है। जिले की सीमा से निकली मुरैना ब्रांच कैनाल, लोवर ब्रांच कैनाल, अंबाह ब्रांच कैनाल सहित कई छोटी छोटी माइनरियां व वितरिकाएं हैं जिनकी पानी आने से पूर्व सफाई होनी हैं। विभाग ने फिलहाल टेंडर तो कर दिए हैं लेकिन सफाई की मॉनीटरिंग नहीं की जा रही है, ठेकेदार जैसे कर रहे हैं, उसी हिसाब से चल रही है। बताया गया है कि टेंडर काफी कम रेट पर हुआ है इसलिए ठेकेदार यह कोशिश करेगा कि कम रेट की कैसे पूर्ति की जाए। ऊपर से अधिकारियों का कमीशन भी देना होगा। कई जगह तो नहरों में पानी भरा है, ऐसी स्थिति में सफाई कैसे संभव है। विभाग को पहले पानी निकालना होगा, उसके बाद सफाई की जा सकती है। खबर है कि विभाग हर साल नहरों की सफाई व मरम्मत का ठेका करता है लेकिन ठेकेदार व विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ के चलते बजट को खुर्द बुर्द कर दिया जाता है और सफाई व मरम्मत के नाम पर औपचारिकता पूरी की जाती है।
ये हैं जिम्मेदार अफसर
जिले से निकली नहरों की देखभाल की जिम्मेदारी जल संसाधन विभाग के अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री, एसडीओ, सब इंजीनियर सहित अन्य अमला है, उसकी रहती है लेकिन इनमें से अधिकाशं अधिकारी मुख्यालय पर नहीं रहते। जबकि नियमानुसार जब नहरों में पानी की सप्लाई शुरू हो जाए तो अधिकारी मुख्यालय पर रहें और नहरों की विजिट भी करें लेकिन अधिकारी शासकीय वाहनों से ग्वालियर से अपडाउन करते हैं। उनकी लॉगबुक क्षेत्र में भ्रमण के नाम पर भरी जाती हैं। मुरैना में कार्यपालन यंत्री को बंगला एलॉट हुए एक साल होने को है लेकिन अभी तक बंगले में गृह प्रवेश नहीं हुआ है। सिर्फ यह दिखाने के लिए उनके पास मुख्यालय पर बंगला है। लेकिन उसमें रहते नहीं हैं।
जिले में नहरों की यह है स्थिति
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