इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे आजः रस्म अदायगी बन कर रह गए मध्य प्रदेश सरकार के आनंद विभाग के काम भोपाल. आज इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे है यानी आनंद का दिन। 20 व 21 मार्च को भोपाल में आनंद सेमिनार का भव्य आयोजन भी हो रहा है। दिलचस्प ये कि मध्यप्रदेश में इस पर पूरा एक विभाग है […]
इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे आजः रस्म अदायगी बन कर रह गए मध्य प्रदेश सरकार के आनंद विभाग के काम
भोपाल. आज इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे है यानी आनंद का दिन। 20 व 21 मार्च को भोपाल में आनंद सेमिनार का भव्य आयोजन भी हो रहा है। दिलचस्प ये कि मध्यप्रदेश में इस पर पूरा एक विभाग है जो कि अगस्त 2016 में बनाया गया था। तब से अब तक आनंद के प्रयासों की पटरी पर आनंद विभाग डगमग चल रहा है। कभी तो इसके कामों से प्रदेश में आनंद महसूस हुआ, तो कभी यह महज कागजी साबित हुआ। बीते कुछ सालों से आनंद विभाग के काम महज रस्म-अदायगी बनकर रह गए हैं। दस्तावेज पर उत्सवों के आंकड़े खूब है, पर धरातल पर असर कम है। आनंद विभाग बना तो बात आई आनंदम (क्लब, दल, केंद्र), आनंदकों (ट्रेनर) के पंजीयन, आनंद उत्सव, आनंद दल और आनंद सूचकांक यानी हैप्पीनेस इंडेक्स की, जो कि बन नहीं पाया। विभाग की गतिविधियां आनंद उत्सव व नेकी की दीवार तक सीमित होकर रह गई हैं।
ठंड में मौतें, नेकी की दीवार पर सवाल
पिछले सालों में जिस तरह नेकी की दीवारें बढ़ी थीं वे इस बार नजर नहीं आई। भोपाल में वीर सावरकर सेतु के करीब लगने वाली नेकी की दीवार इस बार नहीं दिखी। बाकी जगह से भी नेकी की दीवार इस बार नदारद रही। आनंद उत्सव भी सीमित हो गया। आनंद शिविर, आनंद सभा और आनंद क्लब के सम्मेलन सीमित रहे। अभी 86 हजार वालंटियर जुड़े हुए हैं। वहीं 78 से ज्यादा ऑनलाइन कार्यक्रम हुए।
सियासी खींचतान ने किया नुकसान
आनंद विभाग की गतिविधियों पर सियासी खींचतान के कारण भी नुकसान हुआ। विभाग शिवराज सरकार के समय बना था। बाद में कमलनाथ सरकार आई तो इसे अध्यात्म विभाग में मर्ज कर दिया गया। शिवराज सरकार वापस आई तो विभाग को फिर से अलग किया गया। इसके बाद गतिविधियां सीमित ही रहीं।
बजट ऊंट के मुंह में जीरा
बीते साल आनंद विभाग के पास महज सात करोड़ का बजट रहा, जो बाद में 15 करोड़ हुआ। इस साल कोई परिवर्तन नहीं हुआ। आनंद विभाग के पास मैनपावर भी बहुत कम है। इसलिए अधिकांश काम सामाजिक क्षेत्र के लोगों के भरोसे हुए। इससे शुरुआती कामों के बाद उदासीनता हावी हो गई।
फैक्ट फाइल
2025 में अब तक
7289 आनंद उत्सव
24 अल्पविराम कार्यक्रम
02 आनंद सभा
प्रदेश में
174 मास्टर ट्रेनर
308 आनंदम दल
172 आनंदम केंद्र
400 आनंदम दल सहयोगी
570 आनंदम क्लब
एक्सपर्ट व्यू : खुद को जानने से ही आनंद की राह
भारतीय दर्शन का आनंद स्वयं की खोज पर केंद्रित है। हमारी शिक्षा व्यवस्था स्वयं को जानने की नहीं, संसार को जानने की है। संसार को जानने की बजाय खुद को जानने की व्यवस्था ही सुख देती है, इसलिए इस व्यवस्था को संसार को जानने के साथ खुद को जानने पर भी मोड़ने की जरूरत है।
- मनोहर दुबे, पूर्व आइएएस ( आनंद विभाग के पहले पीएस)