भीषण गर्मी...लू के थपेड़े और ऊपर से बिजली की आंख मिचौली। नौतपा के इन दिनों में छोटीकाशी के लोग दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ बाहर लू का कहर है तो दूसरी तरफ घरों में उमस और पसीने की बेहाल कर देने वाली स्थिति।
बूंदी. भीषण गर्मी…लू के थपेड़े और ऊपर से बिजली की आंख मिचौली। नौतपा के इन दिनों में छोटीकाशी के लोग दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ बाहर लू का कहर है तो दूसरी तरफ घरों में उमस और पसीने की बेहाल कर देने वाली स्थिति। आलम यह है कि झुलसाने वाली गर्मी में गली-गली में लोग परेशान हैं, लेकिन विद्युत तंत्र की कथित नाकामी स्थिति को और गंभीर बना रही है। शहर सहित जिले के ग्रामीण इलाकों में ऐसा दिन नहीं जहां हर रोज 4 से 5 घंटे तक बिजली गुल हो रही है। कहीं बार-बार ट्रिङ्क्षपग हो रही है तो कहीं घंटों तक लाइट नहीं आती। जैसे-जैसे तापमान 45 डिग्री या उसके पार पहुंचता है, वैसे-वैसे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ जाती है। नौतपा शुरू होने से पहले आए मौसम में बदलाव से क्षेत्र में बिजली खपत का ग्राफ ऊपर-नीचे हो रहा है। इस सीजन में 27 मई को सबसे अधिक 48.03 लाख यूनिट बिजली की खपत हुई थी। जबकि अंधड़ और बारिश के बाद स्थिति सही थी। तापमान भी स्थिर हो रहा है।
तो बढ़ जाता है तनाव और थकान
शहर का ऐसा कोई इलाका जहां रोजाना घंटों बिजली कटौती नहीं हो रही है। दोपहर की चिलचिलाती धूप के बाद जब लोग घर लौटते हैं तो राहत की जगह बिजली गुल मिलने पर तनाव और थकान और बढ़ जाती है। मुकेश और सुरेश ने बताया कि बच्चे दिन में ठीक से सो नहीं पा रहे। रात को भी कभी-कभी बिजली आंखा-मिचौली खेलती रहती है। कूलर-फ्रिज सब खिलौने बने हुए हैं और काम पर भी थकान रहती है।
ट्रिपिंग से बढ़ रही परेशानी
गर्मी की तीव्रता के कारण बिजली की मांग अधिक हो गई। इस कारण निगम का सिस्टम ओवरलोड हो गया। इससे क्षेत्र में बिजली सप्लाई में बार-बार फाल्ट, ट्रांसफार्मर जलना, फ्यूज उडऩा और ट्रिपिंग जैसी समस्याएं भी आ रही थी। जब लोग विद्यत महकमे में शिकायत करते हैं और वहां से जवाब मिलता है कि फॉल्ट है…टीम भेजी है।
लोड बढ़ा रहा मुश्किल
विद्युत महकमे के अधिकारियों का कहना है कि भीषण गर्मी के कारण ट्रांसफार्मरों पर लोड बढ़ गया है। ओवरलोङ्क्षडग के चलते कई जगहों पर फ्यूज उड़ जाते हैं तो कहीं लाइन में फॉल्ट आ जाता है। घरों में एसी, कूलर और मोटरों का उपयोग बढ़ा है। इससे लोड क्षमता से अधिक हो रहा है और बार-बार ट्रिङ्क्षपग हो रही है। सवाल यह है कि गर्मियों से पहले ट्रांसफार्मर की टेङ्क्षस्टग और वायङ्क्षरग की जांच क्यों नहीं होती?
वर्तमान में शटडाउन रखा जा रहा है। गर्मी को देखते हुए अघोषित कटौती नहीं की जा रही है। कहीं बार फॉल्ट की समस्या आती है तो टीम को भेजकर दुरूस्त कराया जाता है।
अमित मालवीय, एक्सईएन डिवी. आई, बूंदी सर्किल