निमाड़ी भैंस का नस्ल सुधार, ब्रीडिंग-दूध उत्पादन क्षमता बढ़ाने वैज्ञानिक कर रहे अनुसंधान
Nimari buffalo : प्रदेश में निमाड़ी भैंसों की घटती संख्या को देखते हुए उसकी नस्ल में सुधार करने के साथ ब्रीडिंग और दूध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (वीयू) के पशु प्रजनन एवं आनुवंशिकी विभाग के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं। इसमें नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिर्सोसेस मदद कर रहा है। इसके माध्यम से निमाड़ी नस्ल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने, आनुवांशिकी सुधार और ब्रीडिंग पर शोध किया जाएगा। वेटरनरी विशेषज्ञों ने इसके डेटा बेस पर काम शुरू कर दिया है।
परियोजना के प्रमुख अन्वेषक और विभागाध्यक्ष डॉ. मोहन सिंह ठाकुर ने बताया, मध्यप्रदेश में भदावरी भैंस ही एकमात्र पंजीकृत नस्ल है। इस मिशन के अंतर्गत निमाड़ क्षेत्र में पाई जाने वाली अवर्णित निमाड़ी भैंस का सर्वेक्षण और लक्षण वर्णन पर काम शुरू किया गया है। इस कार्य में पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग की सह-अन्वेषक डॉ. डिम्पी सिंह और उनकी टीम सहयोग कर रही है। भैंस की नस्ल सुधार के लिए डेटा बेस तैयार किया जा रहा है।
स्थानीय वातावरण के अनुकूल होने के कारण किसान निमाड़ी नस्ल की भैंस पालते हैं। निमाड़ क्षेत्र में उत्पन्न होने व मध्यम आकार, रोएंदार शरीर, आगे की ओर मुड़े लंबे गोलाकार सींगों के कारण इसे निमाड़ी भैंस कहा जाता है। दूध उत्पादन की क्षमता औसतन 5-8 लीटर प्रतिदिन है।
निमाड़ी भैंस मध्यप्रदेश की प्रमुख देशी नस्लों में से एक है, जो मुख्य रूप से खरगोन, बड़वानी और खंडवा जिले में पाई जाती है। समय के साथ इसकी संख्या घट रही है। इस नस्ल के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक प्रयास हो रहे हैं। वेटरनरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक निमाड़ी भैंस की उत्पादन क्षमता और ब्रीडिंग क्वालिटी बढ़ाने के लिए जीनोमिक और चयन आधारित तकनीकों पर काम कर रहे हैं। सर्वे के अनुसार इस नस्ल की भैंसों की संख्या प्रदेश में 30 से 35 हजार है।