भिण्ड. चंबल अभयारण्य में इस साल घडिय़ाल प्रजनन के लिए मौसम अनुकूल रहा है। 15 मई से 20 जून तक बरही से सोने का पुरा तक बनी सात अस्थायी प्राकृतिक हैचरी में करीब 150 अंडों से बच्चे बाहर निकले हैं। प्रजनन के दौरान अच्छी गर्मी के साथ बारिश न होने के कारण रेत में नेस्ट […]
भिण्ड. चंबल अभयारण्य में इस साल घडिय़ाल प्रजनन के लिए मौसम अनुकूल रहा है। 15 मई से 20 जून तक बरही से सोने का पुरा तक बनी सात अस्थायी प्राकृतिक हैचरी में करीब 150 अंडों से बच्चे बाहर निकले हैं। प्रजनन के दौरान अच्छी गर्मी के साथ बारिश न होने के कारण रेत में नेस्ट सुरक्षित रहा है। चंबल में डैमों से जब अचानक पानी छोड़ा जाता है तब नदी में पल रहे 4 सेमी के घडिय़ालों के बच्चे नष्ट हो जाते हैं। केवल 2 प्रतिशत बच्चे ही ङ्क्षजदा रहते हैं। इस साल नदी में अभी तक पानी नहीं छोड़ा गया है। यदि बारिश सामान्य रही तो घडिय़ालों की संख्या में 400 से 450 तक की वृद्धि हो सकती है। दरअसल बच्चे जब 20 सेमी के हो जाते हैं तो वह बाढ़ का सामना करने में सक्षम हो जाते हैं और इन्हें इतना बड़ा होने में करीब डेढ़ से दो महिने का समय लगता है।
बता दें चंबल नदी में पिछले तीन साल से बाढ़ के कारण घडिय़ालों पर संकट मडरा रहा है। साल 2022 में घडिय़ाल 2176 से बढक़र साल 2023 में 2456 तक पहुंच गए हैं। इस साल अभयारण्य में कुल 900 अंडों से अभी तक बच्चे बाहर निकले हैं, इनमें मुरैना के देवरी घाट पर 189 बच्चे ग्रो एंड रिलीज प्रोग्राम के तहत संरक्षित किए हैं। सेंक्चुरी ने इन अंडों को उन घाटों से कलेक्ट किया है, जहां इनकी नेस्ट खराब होने की अधिक संभावना रहती है। वहीं प्राकृतिक हैचरी में भिण्ड से मुरैना तक करीब 700 बच्चों को चंबल में छोड़ा गया है।
बरही से सोने का पुरा तक चंबल नदी किनारे सात प्राकृतिक हैचरी(घडिय़ालों द्वारा स्वत: रेत में अंडे दबाकर) बनाई गई थी। एक केंद्र पर करीब 25 से 27 अंडे सहेजे थे। वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट डॉ मनोज जैन ने बताया कि इस साल गर्मी और सर्दी अच्छी रही। जिससे रेत में एक फीट तक दबे घडिय़ालों के अंडों से 90 प्रतिशत बच्चे बाहर निकल आए हैं, बाकी नेस्ट खराब हुई है। फिलहाल बारिश नहीं हो रही है, जिससे नदी में पानी की रफ्तार भी कम है। नदी में पानी नहीं छोड़ा गया तो इस बार घडिय़ालों का कुनबा डेढ़ गुना तक बढ़ जाएगा।
435 किमी लंबी चंबल सेंक्चुरी में हर साल 10 हजार अंडे हैचरी में आते हैं।
200 अंडों में से देवरी घाट पर इस साल 189 बच्चे बाहर निकले हैं।
900 बच्चे भिण्ड-मुरैना में अंडों से बाहर निकले हैं।
2456 घडिय़ाल चंबल नदी में मौजूद हैं।
928 मगरमच्छ चंबल में मौजूद हैं।
111 डॉल्फिन चंबल नदी का सौंदर्य बढ़ा रही हैं।
घडिय़ालों प्रजनन के लिए इस साल मौसम अच्छा रहा है। देवरी घाट पर 189 बच्चे जीवित हैं। प्राकृतिक हैचरी में भी इस बार बड़ी संख्या में बच्चे निकले हैं। फरवरी में सर्वे कर नदी में कुल घडिय़ालों की रिपोर्ट जारी की जाएगी।
रविन्द्र स्वरूप दीक्षित, डीएफओ, मुरैना